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Chandra Grahan Time : भद्रा के साये में दहन, देर रात तक रहेगा शुभ मुहूर्त; काशी में 14 को ही मनेगी होली

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रायपुर। इस साल होलिका दहन और होली के त्योहार को लेकर भक्तों में जबरदस्त उत्साह है। हालांकि, इस बार होलिका दहन पर भद्रा का साया रहेगा, जिसके कारण शुभ समय देर रात में होगा। वहीं, काशी (वाराणसी) सहित कई स्थानों पर 14 मार्च को ही होली खेली जाएगी।

भद्रा का साया: शुभ मुहूर्त में करें होलिका दहन

हिंदू पंचांग के अनुसार, होलिका दहन 13 मार्च 2025, बुधवार की रात को किया जाएगा। लेकिन इस दिन भद्रा काल सुबह 10:35 बजे से रात 11:26 बजे तक रहेगा। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भद्रा काल में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है। इस दौरान किए गए कार्यों से संकट और दुर्भाग्य की संभावना रहती है।

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शुभ मुहूर्त:
क्या करें?

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क्या न करें?
होली की तारीख में मतभेद: काशी में 14 को ही होगी रंगों की होली

इस साल होली की तारीख को लेकर लोगों में असमंजस बना हुआ है। पंचांग भेद के कारण कुछ स्थानों पर 15 मार्च को होली मनाने की बात की जा रही है। हालांकि, काशी (वाराणसी) की परंपरा के अनुसार, रंगों की होली हमेशा फाल्गुन पूर्णिमा के अगले दिन मनाई जाती है। इस आधार पर 14 मार्च को ही काशी में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा।

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चंद्र ग्रहण का संयोग: भारत में नहीं पड़ेगा असर

इस बार होली के दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। यह 14 मार्च को सुबह 9:29 बजे से दोपहर 3:29 बजे तक रहेगा। हालांकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक काल मान्य नहीं होगा। इसका मतलब यह है कि भारत में लोग बिना किसी रोक-टोक के होली खेल सकेंगे।

होलिका दहन का धार्मिक महत्व

होलिका दहन अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। यह पर्व भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका की कथा से जुड़ा हुआ है। होलिका दहन के दिन लोग अपने घर-परिवार से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं और अग्नि में नारियल, गेहूं की बालियां और गन्ना अर्पित करते हैं।

क्या मान्यता है?

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