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Tuesday, June 17, 2025

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Chandra Grahan 2025 : मार्च 2025 का पहला चंद्रग्रहण: तिथि, समय और प्रभाव जानें

Chandra Grahan 2025

रायपुर। साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को होली के दिन लगेगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जिसमें चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देगा, जिसे ब्लड मून भी कहा जाता है। यह खगोलीय घटना तब होती है जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य एक सीध में आ जाते हैं, जो भारतीय समयानुसार सुबह 9:29 बजे से दोपहर 3:29 बजे तक रहेगा। बता दें कि यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। हालांकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल और धार्मिक प्रभाव भारत में मान्य नहीं होगा।

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किन देशों में दिखेगा ग्रहण?

यह चंद्र ग्रहण मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक और आर्कटिक महासागर, पूर्वी एशिया तथा अंटार्कटिका में देखा जा सकेगा।

भारत में इसका क्या प्रभाव होगा?

ज्योतिषीय दृष्टि से, चंद्र ग्रहण का असर कई राशियों पर पड़ सकता है, क्योंकि ग्रहण के दौरान चंद्रमा सिंह राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में स्थित होगा। हालांकि, चूंकि यह भारत में दृश्य नहीं होगा, इसलिए इसका कोई धार्मिक या सूतक प्रभाव नहीं माना जाएगा। बता दें कि भारत में 14 मार्च 2025 को लगने वाला पहला चंद्र ग्रहण दृश्य नहीं होगा, इसलिए इसका कोई सूतक प्रभाव नहीं पड़ेगा। भारतीय लोग निश्चिंत होकर होली का पर्व मना सकते हैं।

Chandra Grahan 2025

क्या होली के दिन किसी विशेष सावधानी की जरूरत है?

चूंकि यह ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इसलिए होली का पर्व सामान्य रूप से मनाया जाएगा। कोई धार्मिक निषेध या विशेष नियम इस दिन लागू नहीं होंगे।

अगला चंद्र ग्रहण कब लगेगा?

2025 का दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को होगा। यह आंशिक चंद्र ग्रहण रहेगा और भारत में इसे देखा जा सकेगा।

ब्लड मून क्यों होता है?

जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया (Umbra) में आ जाता है, तो सूर्य की सीधी रोशनी उस तक नहीं पहुंचती। हालांकि, पृथ्वी के वायुमंडल से होकर कुछ लाल रंग की किरणें अपवर्तित (Refraction) होकर चंद्रमा तक पहुँचती हैं, जिससे वह तांबे के लाल या नारंगी रंग का दिखाई देता है। इसी कारण इसे ब्लड मून कहा जाता है।

क्या ब्लड मून कोई अशुभ संकेत है?

वैज्ञानिक दृष्टि से, यह पूरी तरह एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है और इसका कोई अशुभ प्रभाव नहीं होता। लेकिन कई संस्कृतियों में इसे अलग-अलग धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं से जोड़ा जाता है।

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