Chaitra Navratri 6th Day
चैत्र नवरात्रि के छठे दिन दुर्गा माता के स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की जाती है। मां कात्यायनी ऋषि कात्यायन की तपस्या के फल स्वरुप उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुई थी, इसी रूप में मां ने महिषासुर का वध किया था। देवी मां की उपासना करने से सहजता, धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, इन चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है। आज मां कात्यायनी की पूजा रवि योग में होगी। आइये जानते है इस दिन की पूजा विधि, मंत्र, कवच
चैत्र नवरात्रि के छठे दिन का मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:27 एएम से 05:12 एएम।
- अभिजीत मुहूर्त: 11:56 एएम से 12:47 पीएम।
- चर-सामान्य मुहूर्त: 07:33 एएम से 09:09 एएम।
- लाभ-उन्नति मुहूर्त: 09:09 एएम से 10:45 एएम।
- अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: 10:45 एएम से 12:21 पीएम।
- शुभ-उत्तम मुहूर्त: 01:58 पीएम से 03:34 पीएम।
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Chaitra Navratri 6th Day
मां कात्यायनी
मां कात्यायनी देवी दुर्गा का छठा स्वरूप है। नवरात्रि के छठवें दिन माता कात्यायनी की पूजा अर्चना की जाती है। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत ही भव्य और दिव्य है। सिंह पर सवार रहने वाली मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं, जिसमें वे कमल, तलवार आदि धारण करती हैं। कात्यायन ऋषि ने मां दुर्गा को अपने तप से प्रसन्न किया था, देवी ने जब उनको दर्शन देकर आशीर्वाद मांगने को कहा तो उन्होंने उनको अपनी पुत्री के रूप में पाने की इच्छा प्रकट की। मां दुर्गा उनके घर पुत्री के रूप में प्रकट हुईं, जिनका नाम कात्यायनी पड़ा।
प्रिय भोग
मां कात्यायनी को शहद बहुत प्रिय है इसलिए इस दिन मां को भोग में शहद अर्पित करें।
मां कात्यायनी का मंत्र जाप
मां कात्यायनी की पूजा के समय इस मंत्र का जाप करेंया देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
Chaitra Navratri 6th Day
माता कात्यायनी की पूजा का विधि विधान
सुबह स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर सूर्य देव को जल अर्पित करें। आज रवि योग में सूर्य पूजा अत्यंत शुभ फलदायी मानी जाती है। उसके बाद शुभ मुहूर्त में मां कात्यायनी की पूजा शुरू करें। मां कात्यायनी का जल से अभिषेक कर मंत्रोच्चार कर अक्षत्, लाल रंग के फूल, सिंदूर, लाल चुनरी, फल, धूप, दीप, शहद चढ़ाएं। मां कात्यायनी की कथा पढ़ें और अंत में आरती करें। फिर आपकी जो भी मनोकामना है, उसके मां कात्यायनी के समक्ष व्यक्त कर माता का आशीर्वाद ले।
माता कात्यायनी की आरती
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी। जय जगमाता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं, कई धाम हैं। यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी। कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते। हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली। अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो। ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
Chaitra Navratri 6th Day
माता कात्यायनी का प्रिय रंग
नवरात्रि के छठे दिन का रंग हरा है, जो सद्भाव और विकास का प्रतिनिधित्व करता है। यह प्रकृति, उर्वरता और शांति का भी प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन हरा रंग धारण करना बेहद शुभ माना जाता है, जो जातक ऐसा करते हैं उन्हें माता रानी की कृपा से सुरक्षा, वीरता, समृद्धि की प्राप्ति होती है।