Chaitra Navratri 2025 1st Day
रायपुर। चैत्र नवरात्रि 2025 की शुरुआत 30 मार्च 2025 (रविवार) से हो रही है। इस दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। मां शैलपुत्री का जन्म पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में हुआ था, इसलिए उन्हें ‘शैलपुत्री’ कहा गया। ‘शैल’ का अर्थ होता है पर्वत और ‘पुत्री’ अर्थात् बेटी। और इनका वाहन वृषभ (बैल) है, इसलिए इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। इस प्रकार उनका नाम प्रकृति और हिमालय के सामंजस्य का प्रतीक है।
मां शैलपुत्री केवल मानव मात्र की नहीं, बल्कि वन्य जीव-जंतुओं की भी रक्षक हैं। वे प्रकृति की संरक्षिका हैं और समस्त जीवों के कल्याण के लिए सतत सक्रिय रहती हैं। जो भी भक्त श्रद्धा से मां शैलपुत्री का पूजन करते हैं, मां उनकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं। विशेष रूप से वे धैर्य, आत्मबल और संकल्प शक्ति प्रदान करती हैं।आइए जानते हैं मां शैलपुत्री की पूजा विधि, भोग, मंत्र आदि—
Chaitra Navratri 2025 1st Day
मां शैलपुत्री पूजन विधि
- स्नान और संकल्प: प्रातः स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। फिर कलश स्थापना करें और नवरात्रि व्रत का संकल्प लें।
- कलश स्थापना: कलश में गंगाजल, सुपारी, दूर्वा, सिक्का आदि डालें। कलश पर आम्रपत्र और नारियल रखें।
- मां शैलपुत्री का आवाहन: मां की मूर्ति या चित्र पर अक्षत, पुष्प, चंदन, कुमकुम, धूप, दीप अर्पित करें।
- भोग अर्पण: मां को घी में बना हुआ शुद्ध घी का भोग (विशेषकर देशी घी से बनी चीज़ें) अर्पित करें।
- आरती व मंत्रोच्चार: मां की आरती करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
भोग – मां शैलपुत्री को देशी घी बहुत प्रिय है। इसलिए उन्हें शुद्ध घी का भोग अर्पित करने से रोग और मानसिक कष्ट दूर होते हैं।
बीज मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नमः॥
ध्यान मंत्र:
वन्दे वाञ्छित लाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
स्तोत्र मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
Chaitra Navratri 2025 1st Day
विशेष महत्व
मां शैलपुत्री की पूजा से मनोबल, स्थिरता और संयम की प्राप्ति होती है। वे साधकों को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती हैं और जीवन में संतुलन बनाए रखने में सहायक होती हैं।