Chaitra Navratri 2024 7 Day
चैत्र नवरात्रि में पावन पर्व में माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। चैत्र नवरात्रि का आज सातवां दिन है। आज के दिन मां कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है। माता कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली है। काल’ शब्द आमतौर पर समय या मृत्यु को संदर्भित करता है और ‘रात्रि’ शब्द का अर्थ रात होता है। इसलिए, उन्हें अंधेरे का अंत करने वाली देवी के रूप में भी जाना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन समय में शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज नाम के राक्षसों ने आतंक मचा रखा था। इनके आतंक से सभी देवी-देवता परेशान भगवान शिव के पास गए और समस्या से बचाव के लिए कोई उपाय मांगा। जब महादेव ने मां पार्वती से इन राक्षसों का वध करने के लिए कहा, तो मां पार्वती ने मां दुर्गा का रूप धारण कर शुंभ-निशुंभ का वध किया।
लेकिन जब वध के लिए रक्तबीज की बारी आई, तो उसके शरीर के रक्त से लाखों की संख्या में रक्तबीज राक्षस उत्पन्न हो गए। रक्तबीज को वरदान मिला हुआ था कि अगर उसके रक्त की बूंद धरती पर गिरेगी, तो उसके जैसा एक और राक्षस उत्पन्न हो जाएगा। ऐसे में दुर्गा माता ने अपने तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया। इसके पश्चात दुर्गा माता ने राक्षस रक्तबीज का वध किया कर मां कालरात्रि ने उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया। इस तरह रक्तबीज का अंत हुआ।
चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन के मुहूर्त
- भद्रावास योग – दोपहर 12:11 बजे से संध्याकाल 08:39 बजे तक है।
- ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:27 बजे से 05:12 बजे तक।
- विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 21 मिनट तक।
- गोधूलि मुहूर्त – शाम 06:45 बजे से 07:08 बजे तक।
माता कालरात्रि की पूजा विधि
- नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए सबसे पहले उठकर स्नान करें और शुद्ध और साफ कपड़े पहनें।
- इसके बाद व्रत पूजा का संकल्प लें, इस दिन लाल रंग के कपड़े पहने, फिर इसके बाद चौकी पर मां कालरात्रि की प्रतिमा या तस्वीर की स्थापना करें।
- पूजा की जगह को गंगा जल से शुद्ध करें सप्तमी की रात को तेल या सरसों के तेल की अखंड ज्योति जलाएं।
- सुबह दीपक जलाकर पूरे परिवार के साथ मां के जयकारे लगाएं।
- मां कालरात्रि को अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवैद्य श्रद्धापूर्वक अर्पित करें, इसके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें और हवन करें।
माता कालरात्रि का पूजन मंत्र
- ॐ यदि चापि वरो देयस्त्वयास्माकं महेश्वरि।।
संस्मृता संस्मृता त्वं नो हिंसेथाः परमाऽऽपदः ॐ।। - ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:।।
भोग
मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए गुड़ से बनाए हुए मालपुए का भोग लगाएं, माता को उनका प्रिय फूल रातरानी जरूर चढ़ाएं, माता कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें और अंत में माता कालरात्रि की आरती करें।
मां कालरात्रि की पूजा का महत्व
मां कालरात्रि की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और सभी तरह की नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। मां कालरात्रि अपने भक्तों को आशीष प्रदान करती हैं और शत्रुओं और दुष्टों का संहार कर सभी दुख दूर होते हैं और परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
माता कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।
काल के मुह से बचाने वाली ॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।
महाचंडी तेरा अवतार ॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
महाकाली है तेरा पसारा ॥
खडग खप्पर रखने वाली ।
दुष्टों का लहू चखने वाली ॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥
सभी देवता सब नर-नारी ।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
ना कोई गम ना संकट भारी ॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें ।
महाकाली माँ जिसे बचाबे ॥
तू भी भक्त प्रेम से कह ।
कालरात्रि माँ तेरी जय ॥