CGPSC Scam
रायपुर। CBI ने 2022 में हुई छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग परीक्षा में भाई-भतीजावाद के आरोपों के सिलसिले में राज्य में बुधवार को कई जिलों में एक साथ छापा मारा है।खबरों से मिली जानकारी के मुताबिक रायपुर में भाई-भतीजावाद का कथित तौर पर लाभ उठाने वालों के छह, दुर्ग में तीन, महासमुंद और धमतरी में दो-दो और सरगुजा व बिलासपुर में एक-एक ठिकाने पर छापे मारे गए। इस जांच को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बड़ा बयान दिया है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि लिख रहे हैं सुशासन का नया अध्याय – प्रदेश के युवाओं को मिलेगा न्याय। छत्तीसगढ़ की पिछली कांग्रेस सरकार ने पीएससी जैसी स्वच्छ छवि वाले संस्थान में घोटाला कर उसको बदनाम किया, प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया। अब सुशासन की सरकार में घोटालों की तह तक जांच हो रही है, कोई भी भ्रष्टाचारी नहीं बचेंगे। युवाओं को न्याय मिलकर रहेगा।
बता दे कि छत्तीसगढ़ में राज्य लोक सेवा आयोग की 2020 से 2022 के दौरान हुई भर्ती परीक्षा में बड़ा घोटाला सामने आया था। इस परीक्षा के नतीजे 11 मई 2023 को घोषित किए गए थे। वहीं, सीबीआई द्वारा रायपुर में 6, बिलासपुर में एक, धमतरी में 2 समेत 15 ठिकानों पर छापेमारी की गई।
CGPSC Scam
इस मामले में सीबीआई ने 16 ऐसे अभ्यर्थियों को नामजद किया है, जिनकी डिप्टी कलेक्टर, पुलिस उपाधीक्षक समेत अन्य बड़े पदों पर नियुक्ति हुई थी। जानकारी के अनुसार सीजीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी धमतरी में स्थित घर और कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ल के बिलासपुर के ठिकानों छापा मारा गया है। राजेंद्र शुक्ला के बेटे का चयन भी डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ था।
सोनवानी के परिवार के पांच सदस्यों का चयन
अधिकारियों ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया में सोनवानी के परिवार के पांच सदस्य लाभान्वित हुए। इनमें उनके बेटे नितेश और बहू निशा कोसले (डिप्टी कलेक्टर), बड़े भाई का बेटा साहिल (डिप्टी एसपी), बहू दीपा आदिल (जिला आबकारी अधिकारी) और बहन की बेटी सुनीता जोशी (श्रम अधिकारी) शामिल हैं। सीबीआई प्रवक्ता ने कहा, ‘यह भी आरोप लगाया गया है कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के तत्कालीन सचिव (ध्रुव) ने अपने बेटे सुमित को डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित कराया था।’