CG Panchayat Sachiv Strike
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पंचायत सचिवों की हड़ताल ने अब राज्य शासन के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। 18 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे सचिवों ने अब सरकार को खुली चुनौती दे दी है। सोमवार को जशपुर जिले में सचिवों ने ढोल-नगाड़ों के साथ अनोखा प्रदर्शन कर अपनी मांगें बुलंद कीं।
हड़ताल पर बैठे पंचायत सचिवों की मुख्य मांग है कि उन्हें शासकीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाए, जो कि ‘मोदी की गारंटी’ का हिस्सा बताया गया था। लेकिन सरकार की चुप्पी से नाराज़ सचिवों का कहना है कि “अब कागज़ नहीं, ढोल-नगाड़े बोलेंगे।”
CG Panchayat Sachiv Strike
ग्रामीण विकास पर असर
इस हड़ताल से गाँवों में सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन ठप हो गया है। मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, राशन वितरण, जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र जैसे कई जरूरी कार्य अटक गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इसका सीधा असर देखने को मिल रहा है।
सरकार का सख्त रुख
पंचायत विभाग के संचालक ने सभी जिला पंचायतों को पत्र जारी कर सभी सचिवों को 24 घंटे में काम पर लौटने का आदेश दिया है। आदेश का पालन नहीं करने पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। हालांकि, पंचायत सचिव संघ ने सरकार की इस चेतावनी पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।
CG Panchayat Sachiv Strike
अब दिल्ली कूच की तैयारी
पंचायत सचिव संघ ने ऐलान किया है कि अगर सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी, तो वे 21 अप्रैल से दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देंगे। उनका आरोप है कि सरकार वादाखिलाफी कर रही है और लगातार दिए गए ज्ञापनों पर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही।
सरकार और पंचायत सचिवों के बीच यह टकराव अब निर्णायक मोड़ पर है। यदि समाधान नहीं निकला, तो राज्य के ग्रामीण तंत्र में एक लंबा ठहराव आ सकता है और राजनीतिक असर भी दिख सकता है।