छत्तीसगढ़ 25 अगस्त 2025
आज हमन बात करत हन कोरबा जिला के करतला ब्लॉक के जोगीपाली गांव के बूंदराम मांझी के बारे म। बूंदराम, 65 बछर के उमर म, जब मनखे आराम करथे, तब ये किसान अपन जिनगी ला माटी ले जोड़े राखे हे।”
“तीन साल पहिली बूंदराम मांझी ह तय करिस – अब रासायनिक खाद अउ दवाई नइ लगाना। अब हमर खेत म जऊन होही, वो ह सुद्ध माटी ले होही, गोबर ले, नीम पत्ता, धतूरा अउ घर के बनाय दवई ले होही।”
“बूंदराम कहिथे – ‘पहिले हमन बाजार के दवाई म फंस गे रहन, लागत बढ़ गे रहिस, फसल म मुनाफा नइ मिलत रहिस। फेर जब मंय प्राकृतिक खेती के बात सुनेवं, तब सोचेवं – काबर नइ अपन के माटी ला फिर ले जिंदा करन?'”
“उंकर खेत म आज बिन रासायनिक दवाई के धान, कोदो, कुटकी, टमाटर, भाटा, लौकी – सब कुछ हरियर हवय। माटी नरम हवय, केंचुआ दिखथे, अउ खुशबू आथे धरती के।”
“बूंदराम मांझी ह खेत म कड़वा पत्ता – जइसे नीम, धतूरा, आक अउ गिलोय ले दवई बनाथें। उंकर बनाय दवई कीटनाशक के काम करथे, अउ माटी ला भी पोषण देथे।”
“गांव के दूसर किसान मन जब बूंदराम के खेत ल देखे, तब वो मन भी अब प्रेरणा लेवत हंय। अब धीरे-धीरे गांव भर म प्राकृतिक खेती के सुरुआत होवत हावय।”
“सरकार घलो ए दिशा म मदद करत हवय – जैविक खेती के ट्रेनिंग, गोठान योजना, अउ नवाचार किसान योजना के तहत अइसन किसान मन ल बढ़ावा दे जावत हवय।”
“बूंदराम कहिथे – ‘मोर सपना ये आय के हमर छत्तीसगढ़ के हर किसान अपन खेत म माटी के खुशबू ला फिर ले महकावय। हमर अन्न साफ होवय, हमर माटी जिन्दा रहय।'”
“आज बूंदराम मांझी सिरिफ एक किसान नइ, बल्कि एक परेरणा के चिन्ह हें। उंकर संग चलके हमन घलो अपन माटी, अपन खेती अउ अपन जिनगी ला प्राकृतिक बना सकथन।
“छत्तीसगढ़ के अइसन सपूत ला हमर सलाम। बूंदराम मांझी – एक किसान, एक बदलाव के प्रतीक, एक हरियाली के संदेशवाहक।
प्राकृतिक खेती अपनावव, माटी ल बचावव हरियर छत्तीसगढ़ के सपना ला साकार करव