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Wednesday, April 30, 2025

Milk Price Hike : दूध हुआ महंगा, मदर डेयरी और वेरका ने बढ़ाए दाम, गर्मी में बढ़ती लागत बनी वजह, जानें नई कीमतें

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CG Hareli Tihar 2024 : प्रदेश के पहले त्योहार हरेली में किसान किन चीजों की करते हैं पूजा, छत्‍तीसगढ़वासी के लिए क्‍यों है यह पर्व खास? सीएम हाउस में आयोजन की तैयारी का उत्साह जोरशोर से

CG Hareli Tihar 2024

रायपुर। छत्तीसगढ़ की परंपरा और धरोहर को बचाने के लिए प्रदेश की सरकार लगातार कोशिश करती नजर आई है। यही वजह है कि परंपराओं को सहेजने के लिए कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। कांग्रेस सरकार में जहां प्रदेशभर में बड़े आयोजन होते थे, तो वहीं, साय सरकार में भी आयोजन की तैयारी की जा रही है। फिलहाल, हरेली के इस त्यौहार में राजनीति का रंग गहराता नज़र आ रहा है।

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हरेली का शाब्दिक अर्थ हरियाली से है। हरेली पर्व का सीधा संबंध हमारे पर्यावरण से जुड़ा हुआ है। इस दिन पर्यावरण को बचाने के लिए प्रकृति की पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म में हरियाली अमावस्या का बहुत महत्व है, जिसे सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।

 

इस साल हरियाली अमावस्या तिथि 3 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 50 मिनट पर शुरू से शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन 4 अगस्त को दोपहर 4 बजकर 42 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार सावन की हरियाली अमावस्या रविवार 4 अगस्त को मनाई जाएगी। यह छत्तीसगढ़ का पहला त्‍यौहार है। प्रदेश में यह त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता हैं।

CG Hareli Tihar 2024

यह त्‍यौहार कृषि पर आधारित है। किसान इसे बहुत ही ख़ुशी के साथ मनाते हैं। इस हरेली त्योहार में किसान अच्छी फसल की कामना के साथ खेती-किसानी से जुड़े औजारों की पूजा करते है, छत्तीसगढ़ में हरेली का मतलब ‘हरियाली’ होता है जिसे ‘हरियाली अमावस्या’ के नाम से भी जाना जाता है।

इस दिन घर में महिलाएं चावल आटे और गुड़ से बने छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाती हैं। जिसे गुढ़ा चीला भी कहते है, इसी चीला को पूजा में भोग लगाया जाता हैं, इस हरेली के दिन घरों में बैल, गाय और भैंस को बीमारी से बचाने के लिए बगरंडा और नमक खिलाने की परंपरा है।

हरेली त्यौहार किसका प्रतीक होता है
यह लोकपर्व सावन के आने का संदेश है, जिसके पीछे फसल लहलहाने की कामना है, बीजों का संरक्षण है और बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद है।

CG Hareli Tihar 2024

हरेली अमावस्या के दिन खेती का कार्य करना वर्जित है। इसलिए इस दिन कोई भी किसान अपने खेतों में कार्य नहीं करते हैं। हरेली त्यौहार को गेड़ी चढ़ने का त्यौहार भी कहा जाता है। क्योंकि इस दिन लोग बांस की लकड़ी से गेड़ी बनाकर गेड़ी चढ़ते हैं। इसके साथ ही हरेली त्योहर में गांव और शहरों में नारियल फेंक प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। सुबह पूजा-अर्चना के बाद, गांव के चौक-चौराहों पर युवाओं की टोली एकत्रित होती है और नारियल फेंक प्रतियोगिता खेलती है। इस प्रतियोगिता में, लोग नारियल को फेंककर दूरी का मापन करते हैं।

वही हरेली पर्व के के लिए मुख्यमंत्री निवास को परंपरागत तरीके से सजाया जा रहा है। हरेली के दिन 4 अगस्त को यहां किसान भाइयों के हल खुरपी नजर आयेंगे। गेड़ी में लोगों का उत्साह नजर आयेगा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं उनके मंत्रिमंडल सहयोगी तथा अतिथिगण इस अवसर पर हरेली का आनंद लेंगे और परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना करेंगे।

हरेली तिहार के मौके पर मुख्यमंत्री निवास पर सबसे पहले विधिविधान से कृषि उपकरणों की जाएगी। जिसके बाद हरेली के अवसर पर पूरे छत्तीसगढ़ अंचल में लोग अपने अपने लोकगीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। करमा, राउत नाचा के सुंदर गीतों और लयबद्ध नृत्य के साथ आयोजन की शुरूआत होगी। फिर परंपरागत खेलों का आयोजन होगा। इसमें डंडा, भौंरा, बांटी जैसे खेल होंगे। हरेली आयोजन में सबसे यादगार गेड़ी होती है गेड़ी में चलकर लोग पुराने दिनों को याद करेंगे।

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