CG Budget Session
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही की शुरुआत ठीक रही है। कार्रवाई आरंभ होते ही सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर सभी ने शोक जताया गया। इस दौरान स्पीकर डॉक्टर रमन सिंह ने कहा, डॉक्टर मनमोहन सिंह की भरपाई नहीं हो सकती। इसके बाद मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि देश ने एक हीरा खो दिया है।
उन्होंने रिजर्व बैंक में गवर्नर, वित्तमंत्री और प्रधानमंत्री पद के साथ सार्वजनिक जीवन में भी कई अहम जिम्मेदारियां निभाई।स्पीकर और सीएम के बाद नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने दोनों नेताओं के प्रति आभार व्यवक्त किया और डॉक्टर मनमोहन सिंह की विनम्रता को याद किया। इस दौरान पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि मनमोहन सिंह 10 साल प्रधानमंत्री रहे।
उन्होंने धान का समर्थन मूल्य 450 से 900 रु. प्रति क्विंटल किया था जो कि किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में कारगर साबित हुआ। श्री बघेल ने कहा, उनकी आवाज धीमी थी लेकिन जब वे बोलते थे तो पूरी दुनिया सुनती थी। उन्होंने मनरेगा की भी शुरुआत की,जो आज और कोरोना काल में भारत के गरीबों के लिए रोजगार के काम आई। इसके बाद सदन में 2 मिनट के मौन के बाद कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई।
दोबारा जब सदन की कार्रवाही शुरू हुए तब नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने लोफंदी में मौत का मामला उठाया और कहा कि बिलासपुर के लोफंदी में मादक पदार्थ के सेवन से मौत हुई थी, मामले में विभागीय मंत्री विजय शर्मा का वक्तव्य कुछ दिनों में 6 लोगों की मौत असमय होने की सूचना मिली, पुलिस को सूचना प्राप्त होने से पहले अंतिम संस्कार किया गया था। असमय और आकस्मिक मृत्यु की बात ग्रामीणों ने कही है,
डॉग बाइट का उठा मुद्दा –
चरणदास महंत ने कहा- शराब पीकर लोग मर रहे हैं। आखिर इस बात को स्वीकार करने में क्या समस्या है , आबकारी विभाग सोते रहता है पुलिस को हम जगाते हैं। पुलिस वाले फिर आबकारी वालों के साथ पीकर सो जाते हैं , सरकार मामले की जांच तो करे। BJP विधायक सुनील सोनी ने डॉग बाइट की जानकारी मांगी , सुनील सोनी के सवाल पर CM विष्णुदेव साय ने जानकारी दी। वर्ष 2022 से जनवरी 2025 तक रायपुर में 51 हजार 730 लोगों को कुत्तों ने काटा, कुत्तों ने 54 हजार 533 पशुओं को भी काटा।
प्रश्नकाल में उठे ये सवाल
सवाल- धरमलाल कौशिक ने राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों पर EOW,ACB और विभागीय या अन्य मामलों में जांच से जुड़ा सवाल किया। साथ ही पूछा कि अभी कितनी कितनी जांचें लंबित हैं और सरकार ने अब तक क्या कार्रवाई की है।
जवाब- सीएम साय बोले- सरकार ने सुशासन और अभिसरण विभाग का गठन किया है। सुशासन स्थापित करेंगे, सरकार भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है, दोषी अधिकारी बख्शे नहीं जाएंगे।
सवाल- विधायक कुंवर सिंह निषाद ने दुर्ग संभाग में खेल संस्थान का मुद्दा उठाया, बोले- खिलाड़ियों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। जो अधिकारी गलत जानकारी दे रहे हैं। उन पर कार्रवाई करेंगे क्या?
जवाब- मंत्री टंकराम वर्मा- ये खेलो इंडिया के तहत ही संचालित हो रहे प्रशिक्षण संस्थान हैं। ये भारत सरकार की ही योजना है, जो छत्तीसगढ़ के 31 जिले में चल रही है। 2 जिलों का चयन और स्वीकृति हो गई। यहां अप्रैल से शुरू हो जाएगा।
सवाल- विधायक प्रेमचंद पटेल ने कटघोरा वनमंडल में निर्माण कार्य के बारे में पूछा 2023-24 और 2024-25 में वन विभाग ने कितने निर्माण कार्यों को मंजूरी दी, कौन-सी एजेंसी काम कर रही है, और कितने काम पूरे हुए।
जवाब- मंत्री केदार कश्यप बोले- कटघोरा वनमंडल के तहत वन विभाग ने वर्ष 2023-24 और 2024-25 में कुल 5,346 कार्य स्वीकृत किए गए, जिनमें से 3,019 कार्य पूर्ण हो चुके हैं, जबकि 2,327 कार्य चल रहा है।
अफसरों के खिलाफ दर्ज मामलों का उठा मुद्दा:
विधायक धरमलाल कौशिक ने अफसरों के खिलाफ दर्ज मामलों का मुद्दा उठाते हुए अफसरों के भ्रष्टाचार के संबंध में जानकारी मांगी. अफसरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति में देरी का मामला उठाया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जवाब देते हुए कहा सरकार ने सुशासन और अभिसरण विभाग का गठन किया है, हम सुशासन स्थापित करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं । सरकार जीरो टॉलरेंस पर काम कर रही है, जो भी दोषी हैं वह बख्शे नहीं जाएंग।
सड़क दुर्घटनाओं मुद्दा गूंजा
CG Budget Session : विधायक अजय चंद्राकर ने सड़क दुर्घटनाओं को लेकर जानकारी मांगी , अतारांकित प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जानकारी दी. वर्ष 2019 से 2024 के बीच राज्य में 79,523 सड़क दुर्घटनाएं हुई. छत्तीसगढ़ में 33,734 लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हुई। परिवहन विभाग ने वर्ष 2024 में 163 करोड़ रुपए वसूली की कार्रवाई की।
बजट सत्र के लिए कांग्रेस के मुद्दे
नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने कहा कि राज्य सरकार पूर्व बजट में किए गए वादों को पूरा करने में विफल रही है। चाहे वह आवास योजना हो या अन्य योजनाएं, कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया।
बैठक में यह भी सामने आया कि आदिवासी छात्रावासों में छात्राओं के साथ यौन शोषण की घटनाएं हो रही हैं, जिसे सदन में उठाया जाएगा। इसके अलावा, नक्सलवाद, कानून व्यवस्था और कांग्रेस प्रत्याशियों के साथ पुलिस द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के मुद्दे भी प्रमुखता से उठाए जाएंगे।
महंत ने कहा कि कांग्रेस सरकार को घेरने के लिए विभिन्न मुद्दों को मजबूती से उठाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार झूठ के सहारे जनता और विपक्ष को संतुष्ट करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस सदन के भीतर और बाहर, दोनों जगह सरकार को घेरने की रणनीति बनाएगी और नियमित रूप से स्थगन प्रस्ताव लाएगी।
सदन में इन मुद्दों को उठाएगी कांग्रेस-
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना – 18 लाख हितग्राहियों को पूरी राशि नहीं मिली, केवल पहली किस्त जारी हुई। राशि के अभाव में गरीब लोग आवास निर्माण नहीं कर पा रहे।
महतारी वंदन योजना – मृतक हितग्राहियों को राशि जारी हो रही, जबकि 30 हजार पात्र महिलाएं अब तक वंचित। अपात्र लोगों को भी लाभ मिल रहा है।
तेन्दूपत्ता संग्राहक बोनस – 4500/- प्रति मानक बोरा का बोनस अब तक नहीं मिला। किसानों को धान उपार्जन की राशि किश्तों में दी जा रही है, जबकि एकमुश्त देने का वादा था।
शिक्षक भर्ती – 35 हजार शिक्षकों की भर्ती बजट में स्वीकृत हुई, लेकिन एक साल बाद भी विज्ञापन जारी नहीं हुआ।
कानून व्यवस्था – गैंगवार और दिनदहाड़े फायरिंग आम हो गई है। मादक पदार्थों और अवैध शराब की तस्करी तेजी से बढ़ रही है।
शिक्षण संस्थानों में अनाचार – प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों में छात्राओं के साथ दुष्कर्म के मामले बढ़ रहे हैं।
आदिवासी कन्या आश्रमों में शोषण – कई छात्राएं गर्भवती हो रही हैं, जिससे महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं।
जल-जंगल-जमीन का निजीकरण – सरकार उद्योग-धंधों को निजी क्षेत्रों को बेचने की योजनाएं बना रही है, जिससे आदिवासियों और स्थानीय लोगों के अधिकार खतरे में हैं।
बजट को लेकर सवाल
कांग्रेस यह सवाल उठा सकती है कि क्या भाजपा सरकार के बजट में जनता के लिए ठोस योजनाएं हैं या यह केवल घोषणाओं तक सीमित रहेगा। सरकार के वित्तीय प्रबंधन और खर्चों की प्राथमिकता पर भी कांग्रेस सवाल उठा सकती है।
केंद्र सरकार से आर्थिक सहयोग पर सवाल
कांग्रेस यह मुद्दा उठा सकती है कि केंद्र सरकार से मिलने वाली वित्तीय सहायता में कटौती क्यों हो रही है।
केंद्रीय योजनाओं के लिए राज्य को कितना फंड मिला और वह सही तरीके से खर्च हुआ या नहीं, इस पर भी बहस हो सकती है।