CG Budget 2025 Session 12th DAY
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज भारतमाला परियोजना के तहत हुए कथित मुआवजा घोटाले को लेकर जमकर हंगामा हुआ। नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने इस घोटाले का मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि इसमें 300 करोड़ रुपये से अधिक की अनियमितताएं हुई हैं। उन्होंने सदन में इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की, जिससे विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी बहस छिड़ गई।
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क्या है भारतमाला परियोजना मुआवजा घोटाला?
बता दें कि भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना के तहत देशभर में सड़क नेटवर्क को मजबूत करने के लिए भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है। लेकिन छत्तीसगढ़ में इस योजना के तहत दिए गए मुआवजे में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आई हैं। तो वहीं राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने भी सदन में स्वीकार किया कि मुआवजा वितरण में कई अनियमितताएं हुई हैं।
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मंत्री ने बताया कि—
- भू-अधिग्रहण के बाद जमीन के टुकड़े कर दिए गए, जिससे मुआवजे की राशि बढ़ गई।
- मालिक को छोड़कर किसी और को मुआवजा दे दिया गया।
- ट्रस्ट की जमीन का मुआवजा ट्रस्ट को देने के बजाय किसी निजी व्यक्ति को दे दिया गया।
- अभी भी इस घोटाले से जुड़ी नई-नई शिकायतें सामने आ रही हैं, जिनकी जांच जारी है।
सीबीआई जांच पर सत्ता और विपक्ष में टकराव
नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने आरोप लगाया कि अगर इस घोटाले की निष्पक्ष जांच हुई, तो बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार उजागर होगा। उन्होंने सरकार से सीबीआई से जांच कराने की मांग की, लेकिन मंत्री टंकराम वर्मा ने जवाब दिया कि संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में जांच कराई जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
तो वहीं मुख्यमंत्री ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही सीबीआई की छत्तीसगढ़ में एंट्री बैन कर दी गई थी, इसलिए अब विपक्ष को सीबीआई जांच की मांग करने का नैतिक अधिकार नहीं है।
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विपक्ष का वाकआउट, हाईकोर्ट जाने की चेतावनी
सत्ता पक्ष के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन से वाकआउट कर दिया। वाकआउट से पहले नेता प्रतिपक्ष ने कहा, “सरकार जवाब देने से बच रही है। हम चाहते थे कि सदन में सीबीआई जांच की घोषणा हो, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब हमें मजबूरी में हाईकोर्ट का रुख करना पड़ेगा।” तो इस पर सत्ता पक्ष की तरफ से जवाब आया, “आपको कौन रोक सकता है? जाइए हाईकोर्ट!”
इस पूरे मामले पर अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार की घोषित संभागीय आयुक्त की जांच कितनी निष्पक्ष और प्रभावी होगी। वहीं, विपक्ष अगर हाईकोर्ट जाता है, तो यह मामला और तूल पकड़ सकता है। ऐसे में सरकार के लिए सवाल ये खड़ा उठता है कि क्या सरकार को सीबीआई जांच करानी चाहिए, या सिर्फ संभागीय आयुक्त की जांच ही पर्याप्त होगी?
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