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Thursday, August 14, 2025

Announcement of New Team : भाजपा की नई टीम का ऐलान…यहां देखिए पूरी List

रायपुर, 13 अगस्त। Announcement of New Team : भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव की नई टीम का ऐलान हो गया है। नई टीम...

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CG B.Ed Assistant Teachers : समायोजन की मांग को लेकर बीएड सहायक शिक्षकों का उग्र आंदोलन, 21 अप्रैल को ‘अग्नि समाधि’ की चेतावनी

CG B.Ed Assistant Teachers

रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्रशिक्षित बीएड सहायक शिक्षक वर्षों से समायोजन और पुनर्नियुक्ति की मांग कर रहे हैं। अब यह संघर्ष अपने सबसे उग्र मोड़ पर पहुंच गया है। शिक्षक संघ ने सरकार को 20 अप्रैल तक का अल्टीमेटम दिया है – यदि तब तक कोई लिखित निर्णय नहीं लिया गया, तो 21 अप्रैल को रायपुर में ‘सिविल सेवा दिवस’ के मौके पर आत्मदाह (अग्नि समाधि) किया जाएगा।

बीएड शिक्षक संघ का कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ विरोध नहीं बल्कि सालों के अन्याय और अनदेखी के खिलाफ विस्फोट है। वे शिक्षित, प्रशिक्षित और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार पात्र हैं, फिर भी नियमित शिक्षक का दर्जा नहीं दिया गया। उनके अनुसार, सरकार ने अब तक सिर्फ आश्वासन दिए, पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

CG B.Ed Assistant Teachers

आंदोलन की पृष्ठभूमि

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद राज्य सरकार ने यह तय किया था कि प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के पास D.Ed की डिग्री अनिवार्य होगी। इस फैसले के बाद, B.Ed धारक 2897 सहायक शिक्षक बर्खास्त कर दिए गए थे। ये शिक्षक पहले सशर्त नियुक्त किए गए थे और सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय पर उनकी सेवा निर्भर थी। SLP खारिज होने के बाद सरकार ने इन्हें हटाया, मगर इन शिक्षकों ने आंदोलन जारी रखा।

संभावित समाधान की उम्मीद

सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में 17 अप्रैल 2025 को दोपहर 12:30 बजे मंत्रालय (महानदी भवन) में होने वाली कैबिनेट बैठक में इन शिक्षकों के भविष्य पर कोई बड़ा निर्णय लिया जा सकता है।

CG B.Ed Assistant Teachers

सूत्रों की मानें तो राज्य में सहायक शिक्षक (विज्ञान) के हजारों पद खाली हैं। शिक्षा विभाग ने 2621 पदों पर पुनर्नियुक्ति के लिए प्रस्ताव तैयार किया है, जो अब कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। यह फैसला इन बर्खास्त शिक्षकों के लिए बड़ी राहत और आंदोलन के बीच एक संभावित समाधान बन सकता है।

बता दें कि इस आंदोलन ने न सिर्फ शिक्षकों की हताशा को उजागर किया है, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अब निर्णय की घड़ी आ चुकी है। अगर सरकार समय रहते फैसला नहीं लेती, तो 21 अप्रैल को राजधानी रायपुर ऐतिहासिक विरोध की साक्षी बन सकती है।

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