spot_img
Wednesday, June 18, 2025

CG Murder News : छत्तीसगढ़ में रिश्तों की हत्या, ससुर ने बहू को मारकर घर से 50 मीटर दूर दफनाया, वजह जानकर कांप उठेंगे!!!!

CG Murder News अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले के लुण्ड्रा थाना क्षेत्र के ग्राम किरकिमा से एक रोंगटे खड़े कर देने वाली खबर सामने आई...

Latest Posts

CAA : छत्तीसगढ़ में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत 63,000 शरणार्थियों को नागरिकता मिलने की उम्मीद है

CAA

रायपुर में 1625 से अधिक पाकिस्तानी शरणार्थी रहते हैं।पखांजूर के 133 गांवों में बांग्लादेशी शरणार्थियों की बड़ी आबादी है।सीएए के तहत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थी भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।आवेदकों को यह साबित करना होगा कि वे 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आ गए थे।नागरिकता के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया ऑनलाइन है।सीएए दिसंबर 2019 में संसद में पारित हुआ था।इस कानून को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए थे।कुछ लोगों का कहना है कि यह कानून भेदभावपूर्ण है।सरकार का कहना है कि यह कानून धार्मिक उत्पीड़न के शिकार लोगों की मदद करने के लिए है।

READ MORE – RAIPUR CRIME NEWS : रायपुर के OYO होटल कमरे में मृत मिली बिहार की युवती, बेड पर मिले शराब की बोतल और सिगरेट पैकेट

सीएए के लागू होने से छत्तीसगढ़ में रह रहे 63 हजार से अधिक शरणार्थियों को फायदा मिलने की उम्मीद है। ये शरणार्थी 50-60 साल से यहां बसे हुए हैं, लेकिन इनके पास भारत की नागरिकता नहीं है।62,890 शरणार्थी दिसंबर 2014 से पहले छत्तीसगढ़ में आए थे।इनमें से अधिकांश पाकिस्तानी और बांग्लादेशी हैं।पखांजूर के 133 गांवों में सबसे ज्यादा शरणार्थी रहते हैं।रायपुर में 1625 पाकिस्तानी और 1100 से अधिक बांग्लादेशी शरणार्थी हैं।कई शरणार्थियों के पास कोई दस्तावेज नहीं है, लेकिन वे अब रायपुर के मतदाता हैं।

1979 तक बस्तर में 18,458 शरणार्थी बसाए गए

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 31 अक्टूबर 1979 तक बस्तर इलाके में 18,458 शरणार्थियों को बसाया गया। इन शरणार्थियों के लिए सिंचाई, पेयजल आपूर्ति, जमीन सुधार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा, सड़क निर्माण जैसे विकास के कई काम किए गए। इसी तरह कांकेर के पंखाजूर में भी बांग्लादेशी शरणार्थियों को बसाया गया था।इसी तरह रायपुर के माना में 500 से ज्यादा परिवार बराए गए थे, जिनकी संख्या दोगुनी से ज्यादा हो गई है।

पंखाजूर में बांग्लादेशी शरणार्थी पंखाजूर के 295 गांवों में से 133 गांवों में बांग्लादेशी शरणार्थी रहते हैं।2011 की जनगणना के अनुसार, कांकेर जिले में 1 लाख लोग बांग्ला बोलते हैं।पंखाजूर शहर में 95% लोग बांग्लादेश से आए हैं।2016 में 500 बांग्लादेशी परिवार वीजा पर रायपुर आए थे और अब वे नागरिकता चाहते हैं।

READ MORE – रायपुर में NIA के आवासीय परिसर का उद्घाटन करेंगे अमित शाह, कल शाम 5 बजे कार्यक्रम

पंखाजूर में बांग्लादेशी शरणार्थियों का इतिहास:

1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद, कई हिंदू परिवार बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) से भारत चले गए।1971 में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान, कई और लोग पंखाजूर में शरण लेने आए।इन शरणार्थियों को भारत सरकार द्वारा बसाया गया था।पंखाजूर में रहने वाले बांग्लादेशी शरणार्थियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।उनके पास अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसरों तक सीमित पहुंच होती है।उन्हें सामाजिक भेदभाव का भी सामना करना पड़ सकता है।

रायपुर, दुर्ग, बलौदाबाजार कलेक्टर को नागरिकता देने का अधिकार

2016 में केंद्र सरकार ने कुछ जिलों के कलेक्टर और गृह सचिव को शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का अधिकार दिया ​था। छत्तीसगढ़ में सिर्फ रायपुर कलेक्टर और गृह सचिव को ये अधिकार था। 2021 में दुर्ग और बलौदाबाजार कलेक्टर को भी अपने जिले के शरणार्थियों को नागरिकता का अधिकार दिया गया।बाकी जिलों के लिए लोगों को गृह सचिव को आवेदन देना होता है। पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के लोगों को नागरिकता देने में डरते थे। इस वजह से सालों बाद भी लोगों को सिटिजनशिप नहीं मिली है।

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए): छत्तीसगढ़ के लिए क्या मायने रखता है?
डिप्टी सीएम विजय शर्मा के अनुसार:

सीएए एक ऐतिहासिक फैसला है।इससे छत्तीसगढ़ में रहने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलेगी।केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार प्रदेश भी प्रक्रिया शुरू करेगा।पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है।आवेदकों को यह बताना होगा कि वे बिना दस्तावेजों के भारत में कब आए थे।उन्हें यह साबित करना होगा कि वे पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश के निवासी हैं।इसके लिए उन्हें वहां के पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र, मार्कशीट या वहां की सरकार से जारी पहचान का कोई प्रमाण पत्र पेश करना होगा।

संभावित लाभार्थी:

जनवरी 2019 में संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, 31 दिसंबर 2014 तक भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31,313 गैर-मुस्लिमों ने भारत में शरण ली है।ये सभी लोग सीएए के तहत नागरिकता प्राप्त करने के योग्य हो सकते हैं।

नागरिकता के आवेदनों पर एक समिति फैसला लेगी। इस समित में जनगणना निदेशक, आईबी, फॉरेन रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस, पोस्ट ऑफिस और राज्य सूचना अधिकारी शामिल होंगे। सबसे पहले आवेदन जिला कमेटी के पास जाएगा। फिर उसे एंपावर्ड कमेटी को भेजा जाएगा।

READ MORE – ELECTORAL BOND CASE : SBI ने चुनाव आयोग को सौंपा चुनावी बॉन्ड का विवरण, SUPREME COURT ने दिया था आदेश

Latest Posts

spot_imgspot_img

Don't Miss

Stay in touch

To be updated with all the latest news, offers and special announcements.