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Tuesday, October 21, 2025

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Bombay High Court : पत्नी को हनीमून पर ‘सेकंड हैंड वाइफ’ कहने वाले पति पर हाईकोर्ट ने लगाया 3 करोड़ का जुर्माना

Bombay High Court

मुंबई। अपनी पत्नी को हनीमून पर ‘सेकंड हैंड’ कहना पति को भारी पड़ गया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार 27 मार्च, 2024 को घरेलू हिंसा करने के मामले में और ‘सेकंड हैंड वाइफ’ कहने को लेकर निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें महिला को 3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।

महिला ने अपनी शिकायत में मारपीट के साथ साथ प्रताड़ित करने का और ‘Second Hand’ कहकर अपमानित करने का आरोप लगाया है। हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए अपने फैसले में कहा है कि यह जुर्माना न सिर्फ शारीरिक चोटों के लिए बल्कि मानसिक यातना और भावनात्मक परेशानी के मुआवजे के रूप में भी लगाया गया है। घरेलू हिंसा महिला के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाती है।

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Bombay High Court

खबरों के मुताबिक, 3 जनवरी 1994 को मुंबई में हुई थी। इन दोनों ने अमेरिका में भी शादी की थी लेकिन 2005-2006 में ये मुंबई में रहने लगे। 2014-15 में पति वापस अमेरिका चला गया और 2017 में वहां की कोर्ट में तलाक का केस करके पत्नी को समन भेज दिया। 2018 में अमेरिका की एक अदालत ने तलाक को मंजूरी दे दी। पत्नी ने ये भी आरोप लगाया कि पति उनके चरित्र पर सवाल उठा कर आरोप लगाने लगा। घरेलू हिंसा 1994 से 2017 तक जारी रही।

पत्नी ने आरोप लगाया था कि नेपाल में जब दोनों हनीमून के लिए गए थे तब उसके पति ने उसे ‘सेकेंड हैंड’ कहा था। ऐसा करने की वजह यह थी कि महिला की पिछली सगाई टूट गई थी। पत्नी के मुताबिक, पति ने पीड़िता पर अपने भाइयों और अन्य पुरूषों के साथ संबंध रखने का आरोप लगाया। पति ने कथित तौर पर पीड़िता को उस रात तक तक सोने नहीं दिया तब तक उन्होने विवाह से बाहर इन संबंधों की बात स्वीकार नहीं कर ली।

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हाई कोर्ट में दी थी चुनौती
इसी मामले में महिला ने मेट्रोपोलिटन कोर्ट में केस दायर किया था। 2017 में मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने माना थी कि महिला के साथ घरेलू हिंसा हुई है। इसी के चलते उनके अलग से रहने के लिए गुजारा राशि देने और 3 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का कोर्ट ने फैसला सुनाया था। महिला के पति ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

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जस्टिस शर्मिला देशमुख ने घरेलू हिंसा मामले में अपने 22 मार्च के आदेश में कहा कि यह राशि महिला को न केवल शारीरिक चोटों के लिए बल्कि मानसिक यातना और भावनात्मक परेशानी के मुआवजे के रूप में दी गई है। जुलाई 2017 में महिला ने ‘मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट’ की अदालत के समक्ष घरेलू हिंसा अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपने पति के खिलाफ मामला दायर किया था।

 

 

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