Bohag Bihu Festival 2024
असम। बोहाग बिहू असम का एक प्रमुख उत्सव है, जो प्रतिवर्ष अप्रैल महीने में मनाया जाता है। यह उत्सव असम के लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है और वे इसे खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं। प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को मनाया जाने वाला यह असम का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। जो पूरे सात दिनों तक चलता है।
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यह त्यौहार वसंत ऋतु के आगमन और नए साल की शुरुआत का जश्न मनाता है। इसे बोहाग बिहू, रोंगाली बिहू, हत बिहू और वहाग बिहू के नाम से भी जाना जाता है। बोहाग बिहू के पर्व को सात दिनों तक विभिन्न अनुष्ठानों के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। बोहाग बिहू असमिया नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और यह फसलों की कटाई के समय को दर्शाता है। बोहाग बिहू उत्सव के दौरान फसल की कटाई के बाद ईश्वर को अनाज अर्पित कर उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।
इस उत्सव के दौरान लोग एकजुट होकर अपनी समृद्ध परंपरा और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने की कोशिश करते हैं। इस अवसर पर महिलाएं और पुरुष ढोल, बांसुरी, पेपा, गगना, ताल इत्यादि के साथ अपने पारंपरिक परिधान में लोकनृत्य करते हैं। बोहाग बिहू के दिन नारियल, चावल, तिल और दूध का उपयोग करके कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं।
Bohag Bihu Festival 2024
बोहाग बिहू की अनोखी परंपराएं
हाओराहा: इस दिन लोग गायों को नहलाते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
पंगाली: इस दिन लोग नए चावल से विभिन्न प्रकार के पकवान बनाते हैं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करते हैं।
माघ बिहू: इस दिन लोग पशुओं को सजाते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
बिहू नृत्य: यह बोहाग बिहू का सबसे लोकप्रिय नृत्य है. यह खुशी और उत्साह का प्रतीक है।
देई मचान: यह बोहाग बिहू का एक पारंपरिक खेल है।
Bohag Bihu Festival 2024
असमिया नव वर्ष का महत्व
रोंगाली बिहू के अलग-अलग दिन मवेशियों, घरेलू देवताओं, हथकरघा और खेती के उपकरणों को समर्पित हैं। लोक गीतों के रूप में गाये जाने वाले बिहू गीत के धुन पर नृत्य करना, दावत देना और त्योहार की अन्य परंपराओं से उपहारों का आदान-प्रदान करना इस त्यौहार की ख़ूबसूरती है। यह इस त्यौहार के महत्त्व को दर्शाता है।
असमिया नव वर्ष का इतिहास
ऐसी मान्यता है कि बिहू का इतिहास प्राचीन काल में लगभग 3500 ईसा पूर्व का है, जब लोगों ने बेहतर फ़सल के लिए अग्नि यज्ञ किया था। ऐसा माना जाता है कि हज़ारों वर्ष पहले दुनिया के उत्तर-पूर्वी हिस्से में रहने वाली एक कृषि जनजाति ने त्योहार मनाना शुरू किया था।