Blood Cancer
नई दिल्ली। कैंसर… एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही दिल दहल जाता है। खासकर ब्लड कैंसर यानी ल्यूकेमिया और लिम्फोमा जैसी बीमारियाँ, जिनका इलाज अब तक लाखों रुपये खर्च करके विदेशों में कराया जाता था। लेकिन अब भारत ने इस जंग में एक ऐसा हथियार बना लिया है, जो हजारों ज़िंदगियों को बचा सकता है, और वो भी अपने ही देश में, किफायती कीमत पर।
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CAR-T सेल थेरेपी: अब भारत में
भारतीय वैज्ञानिकों ने पहली बार पूरी तरह से स्वदेशी CAR-T Cell Therapy विकसित की है। इसे आईआईटी-बॉम्बे, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल और बायोटेक कंपनी ImmunoACT ने मिलकर तैयार किया है। इसका मतलब? अब भारत में ही ब्लड कैंसर के मरीजों को ऐसी थेरेपी मिलेगी जो पहले सिर्फ अमेरिका या यूरोप में करोड़ों रुपये खर्च करके मिलती थी।
Blood Cancer
कैसे काम करती है ये थेरेपी?
- मरीज के खून से टी-कोशिकाएं (T-Cells) निकाली जाती हैं।
- इन कोशिकाओं को लैब में जेनेटिक तकनीक से इस तरह बदला जाता है कि वे सिर्फ और सिर्फ कैंसर कोशिकाओं को पहचानें और उन्हें मार गिराएं।
- फिर ये सुपर-पावर्ड कोशिकाएं मरीज के शरीर में वापस डाली जाती हैं और वो शुरू कर देती हैं कैंसर से जंग।
नतीजा?
हाल ही में द लैंसेट हेमेटोलॉजी जैसे अंतरराष्ट्रीय जर्नल में इसका परीक्षण छपा है — और 73% मरीजों में इस थेरेपी का जबरदस्त असर देखा गया। यानी हर 10 में से लगभग 7 मरीजों को मिला नया जीवन।
Blood Cancer
क्यों है यह ‘बड़ी खबर’?
- ये थेरेपी अब 10 से 20 गुना सस्ती होगी, क्योंकि इसे भारत में ही बनाया गया है।
- मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की यह असली जीत है।
- लाखों लोगों को विदेश जाने की ज़रूरत नहीं, इलाज अब यहीं मुमकिन।