BIJAPUR IED BLAST
बीजापुर। बीजापुर जिले के भोपालपट्टनम इलाके में रविवार को नक्सलियों ने एक बार फिर हिंसा की वारदात को अंजाम दिया। खबरों से मिली जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 63 पर मद्देड़ और भोपालपट्टनम के बीच गोरला के पास नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के वाहन को निशाना बनाकर IED ब्लास्ट किया। इस विस्फोट में सर्च ऑपरेशन से लौट रही एसटीएफ की गाड़ी चपेट में आ गई, जिससे दो जवान घायल हो गए।
IED ब्लास्ट से मची अफरा-तफरी
सुरक्षा बल नक्सल ऑपरेशन से लौट रहे थे, तभी गोरला नाला के पास मुख्य मार्ग पर नक्सलियों द्वारा बिछाए गए IED में विस्फोट हो गया। इस धमाके में वाहन चालक समेत दो जवानों को चोटें आईं। ASP चंद्रकांत गवर्ना ने बताया कि दोनों को प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल बीजापुर भेजा गया है। दोनों की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। घटना के तुरंत बाद इलाके में सुरक्षा बलों द्वारा सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया। नक्सलियों की इस हरकत के बाद पूरे क्षेत्र में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
BIJAPUR IED BLAST
नक्सलियों की बौखलाहट: 22 नक्सलियों ने किया सरेंडर
उधर, नक्सली लगातार सुरक्षा बलों के दबाव में आकर आत्मसमर्पण कर रहे हैं। रविवार को ही बीजापुर पुलिस के समक्ष 22 नक्सलियों ने सरेंडर किया। इनमें तेलंगाना स्टेट कमेटी (TSC) और आंध्र-ओडिशा बॉर्डर (AOB) डिवीजन पार्टी के सदस्य भी शामिल हैं। सरेंडर करने वाले माओवादियों को सरकार की पुनर्वास नीति के तहत प्रत्येक को 25-25 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई है।
नक्सली कर रहे मुख्यधारा में लौटने की कोशिश
बीजापुर में पिछले कुछ महीनों में बड़ी संख्या में नक्सलियों ने सरेंडर किया है, जिससे यह साफ है कि वे मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं। लेकिन वहीं, कुछ नक्सली हिंसा का रास्ता अपनाकर अपनी मौजूदगी जताने की कोशिश कर रहे हैं। रविवार को हुआ यह ब्लास्ट इसी बौखलाहट का नतीजा माना जा रहा है।
BIJAPUR IED BLAST
सरकार का रुख सख्त, लेकिन पुनर्वास को भी प्राथमिकता
राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन नक्सलियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है, लेकिन साथ ही सरेंडर करने वालों को पुनर्वास योजना के तहत मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास भी तेज है। अधिकारियों का मानना है कि हिंसा का रास्ता छोड़ने वालों को समाज में सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अवसर मिलना चाहिए।
BIJAPUR IED BLAST
संपर्क में आए स्थानीय ग्रामीणों का सहयोग
इस पूरी प्रक्रिया में स्थानीय ग्रामीणों की भूमिका भी अहम मानी जा रही है, जो अब नक्सली गतिविधियों का समर्थन नहीं कर रहे और पुलिस को समय-समय पर जानकारी देकर सहयोग कर रहे हैं।
बता दें कि बीजापुर की ताजा घटना नक्सल समस्या की दो तस्वीरें दिखाती है। एक ओर हिंसा, दूसरी ओर आत्मसमर्पण। सुरक्षा बलों की सतर्कता और सरकार की नीति ही इस संघर्ष को निर्णायक मोड़ पर ले जाने में सहायक बन सकती है।