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Bharat Bandh 2024 : दलित और आदिवासी संगठनों का आज भारत बंद, कई जिलों में स्कूल-कॉलेज बंद, जानिए किस राज्य में कैसा है असर

Bharat Bandh 2024

सुप्रीम कोर्ट द्वारा SC-ST आरक्षण में क्रिमीलेयर और उपवर्गीकरण करने के फैसले के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ने 21 अगस्त यानी कि आज भारत बंद का आह्वान किया है। इसके साथ ही उन्होंने कई मांगों की एक लिस्ट भी जारी की है। भारत बंद का सबसे ज्यादा राजस्थान, बिहार और झारखंड में असर देखा जा रहा है।

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बिहार में सिपाही भर्ती परीक्षा के परीक्षार्थियों को आवागमन में मुश्किल हुई है। तो वही राजस्थान के जोधपुर में स्कूल और कॉलेजों को बंद कर दिया गया है। व्यापारिक संगठनों ने भी बंद को आम सहमति से दोपहर 1 बजे तक समर्थन दिया है। कोटा यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई। भरतपुर में संभागीय आयुक्त सांवरमल वर्मा ने सुबह 9 से शाम 6 बजे तक इंटरनेट बंद रखने के आदेश जारी किए है।

इस ‘भारत बंद’ का समर्थन कई राजनीतिक दल कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था, ”सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं। कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं।

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जैसे कि सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले। ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं। इन लोगों के उत्थान के लिए राज्‍य सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है। ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है।”

सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटा निर्धारित करने के फैसले के साथ ही राज्यों को जरूरी हिदायत भी दी। कहा कि राज्य सरकारें मनमर्जी से यह फैसला नहीं कर सकतीं। इसमें भी दो शर्त लागू होंगी।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुनाया था, जिनमें कहा गया था कि एससी और एसटी के आरक्षण का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है। इससे कई जातियां पीछे रह गई हैं। उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कोटे में कोटा होना चाहिए। इस दलील के आड़े 2004 का फैसला आ रहा था, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों का वर्गीकरण कर सकते हैं।

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जानिए भारत बंद से जुड़ी खास बातें

1. भारत बंद का आह्वान दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ (NACDAOR) ने किया है। इसने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए दावा किया है कि यह ऐतिहासिक इंदिरा साहनी मामले में अदालत के पहले के फैसले को कमजोर करता है, जिसने आरक्षण के लिए रूपरेखा स्थापित की थी।

2.NACDAOR ने मांगों की एक सूची जारी की है, जिसमें सरकार से नौकरियों और शिक्षा में इन समुदायों के सामाजिक न्याय और समान प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।

3.सरकार से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज करने का आग्रह करते हुए, इसने संविधान की नौवीं अनुसूची द्वारा न्यायिक समीक्षा से संरक्षित एक नए केंद्रीय अधिनियम की मांग की। अतीत में, सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि नौवीं अनुसूची के तहत एक कानून को रखना इसे न्यायिक समीक्षा से नहीं बचाता है।

4.NACDAOR ने सरकारी सेवाओं में SC/ST/OBC कर्मचारियों पर जाति-आधारित डेटा को तत्काल जारी करने की भी मांग की है ताकि उनका सटीक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।

5.संगठन ने सरकार से सार्वजनिक सेवाओं में इन समूहों के जाति-वार प्रतिनिधित्व पर डेटा जारी करने का आग्रह किया है।

6.समूह ने केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सभी बैकलॉग रिक्तियों को भरने का आह्वान किया है। निजी क्षेत्र में, निकाय ने कहा कि सरकारी सब्सिडी या निवेश से लाभान्वित होने वाली कंपनियों को अपनी फर्मों में सकारात्मक कार्रवाई की नीतियां लागू करनी चाहिए।

7.झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल जैसे राजनीतिक दलों ने आज भारत बंद को समर्थन दिया है। वामपंथी दलों ने भी हड़ताल के आह्वान का समर्थन किया है। आधिकारिक घोषणा न होने के बावजूद, इन दलों द्वारा शासित राज्यों में सार्वजनिक सेवाओं के प्रभावित होने की उम्मीद है।

8.अस्पताल, एम्बुलेंस और चिकित्सा सुविधाएं जैसी आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी। बैंकों, सरकारी कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। NACDAOR ने सभी OBC और SC/ST समूहों से बड़ी संख्या में शांतिपूर्ण तरीके से भाग लेने का आग्रह किया है।

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