Bastar News
नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में एक गांव ऐसा भी है जहां आज आजादी के 76 साल भी मूलभूत सुविधाओं के लिए आज भी संघर्षील है। यहां हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले के कुण्डोली गांव की, जहां आज भी बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, और स्वास्थ्य जैसी अनिवार्य सुविधाएं ग्रामीणों के लिए सिर्फ एक सपना बन कर रह गई है।
यहां ग्रामीण आज भी रात में आग जलाकर और लालटेन के सहारे अपनी जिंदगी बिता रहे है। बता दें कि नारायणपुर से करीब 65 किमी दूर कुण्डोली गांव में करीब 180 लोग रहते हैं। और यह गांव आज सिर्फ नक्सल प्रभावित इलाके के नाम पर उपेक्षित होकर रह गया है।
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यहां आज भी गांव में पक्की सड़कों का अभाव है। लोगो को यहां पहुंचने के लिए नदी-नालों को पार करना पड़ता है। वहीं बरसात के दिनों में यह पूरा इलाका टापू में तब्दील हो जाता है, जिसके कारण ग्रामीण पूरी तरह से बाहरी दुनिया से कट जाते हैं। गांव में ना ही वाहनों का आवागमन होता है और ना ही किसी आपात स्थिति में मदद जल्दी पहुंच पाती है।
वही कुण्डोली गांव में बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए के ज्ञान ज्योति प्राथमिक शाला संचालित है, जो पिछले 14 वर्षों से झोपड़ीनुमा घोटुल में संचालित है। जहा केवल 13 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि कुछ बच्चे गांव में स्कूल न होने के कारण दूसरे स्थानों पर रहकर पढ़ाई करते हैं।
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शाला भवन निर्माण के लिए 20 लाख रुपये स्वीकृत भी हुए थे, लेकिन यह कार्य अभी भी अधूरा छोड़ दिया गया। पिछले 14 सालों से गांव में पदस्थ शिक्षक सनत साहू बताते हैं कि बरसात में वे 7-8 किलोमीटर तक नदी-नाले पार कर स्कूल पहुंचते हैं। कई बार तो नदी नाले उफान पर रहने के कारण गांव में फंस भी जाते हैं।
गांव में एक हैंडपंप है जो खराब पड़ा है। जिसके कारण ग्रामीण नाले का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं, जो उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहा है। जिसकी वजह से गांव में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, परंतु अब तक इस ओर प्रसाशन का कोई ध्यान नहीं है। यहां के लोगो का दर्द प्रशासन को सुनाई नहीं दे रहा।