Bastar Dussehra Kachan Gadi
जगदलपुर। बुधवार को यहां काछनगुड़ी में संपन्न काछनगादी धार्मिक अनुष्ठान में काछनदेवी ने ऐतिहासिक दशहरा पर्व मनाने की स्वीकृति प्रदान की। काछनदेवी को रण-देवी भी कहा जाता है। मान्यता के अनुसार काछनदेवी धन धान्य की रक्षा भी करती हैं। आठ साल की बच्ची पीहू दास कांटे के झूले पर लेटकर इस विधान के तहत बस्तर दशहरा मनाने की अनुमति देगी।
राज परिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव परंपरानुसार काछनदेवी से अनुमति लेने पहुंचेंगे। अनुमति मिलने पर आतिशबाजी की जाएगी। इसके बाद देवी इशारों से अनुमति प्रदान करती है। अनुमति मिलने के बाद राजपरिवार वापस दंतेश्वरी मंदिर लौटता है। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के महत्वपूर्ण विधान काछनगादी का पूरे विधि-विधान व परंपरा के साथ निर्वहन हुआ।
Bastar Dussehra Kachan Gadi
बता दें कि तीन वर्षों से यह बच्ची इस रस्म को निभाती आ रहीं हैं। परंपराओं और मान्यताओं के मुताबिक आश्विन अमावस्या के दिन काछन देवी जिन्हें रण की देवी कहा जाता है। पनका जाति की कुंवारी की यह देवी सवारी करती है।
जिसके बाद देवी को कांटे के झूले में लिटाकर झुलाया जाता है। बता दें कि दशहरा पर्व की पहली रस्म हरेली अमावश्या के दिन पाटजात्रा की हुई थी। इस वर्ष दशहरा 19 अक्टूबर तक चलेगा।