रायपुर, 09 अक्टूबर। Bastar : छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में शांति और विकास की एक नई मिसाल कायम हुई है। यहां के 32 आत्मसमर्पित माओवादियों ने मुख्यधारा में लौटते हुए न केवल हिंसा का रास्ता छोड़ा है, बल्कि अब वे आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक जीवन की ओर भी तेज़ी से बढ़ रहे हैं। इन सभी पूर्व माओवादियों ने हाल ही में जगदलपुर स्थित क्षेत्रीय स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान से कुक्कुटपालन और बकरीपालन का एक माह का विशेष प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया है।
प्रशिक्षण के दौरान इन्हें उन्नत नस्लों का चयन, संतुलित आहार प्रबंधन, टीकाकरण, रोगों की पहचान, उपचार के तरीके, सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने, बैंक ऋण प्राप्त करने तथा उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने जैसे आवश्यक पहलुओं की जानकारी दी गई।
एक प्रशिक्षार्थी ने बताया, “जंगल का जीवन कठिन और असुरक्षित था। लेकिन अब, सरकार की पुनर्वास नीति के कारण हमें नया जीवन मिला है। हम मेहनत करके अपने परिवारों को बेहतर भविष्य दे सकेंगे।”
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाई जा रही अभिनव पुनर्वास नीति के तहत इन माओवादियों को न केवल प्रशिक्षण दिया गया, बल्कि वित्तीय सहायता और आगे की निगरानी के लिए स्थानीय अमले की मदद भी सुनिश्चित की गई है।
“नियद नेल्लानार योजना” जैसी योजनाओं के माध्यम से माओवाद प्रभावित गांवों में अब शासन की योजनाएं सक्रिय रूप से पहुंच रही हैं। इससे न सिर्फ गांवों में मूलभूत सुविधाएं बढ़ी हैं, बल्कि आत्मसमर्पित माओवादियों में विश्वास और आत्मबल भी जगा है।
बीजापुर के इन 32 पूर्व माओवादियों की यह पहल यह संदेश देती है कि यदि अवसर और सही मार्गदर्शन मिले, तो हिंसा का रास्ता छोड़ने वाले लोग भी समाज के निर्माण में भागीदार बन सकते हैं। यह बदलाव बस्तर में स्थायी शांति और विकास की दिशा में एक मजबूत कदम है।