Bangladesh Violence
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन की आग बढ़ती ही जा रही है। देश में कर्फ्यू लगाने और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना की तैनाती की घोषणा के बीच 978 भारतीय छात्र बांग्लादेश से वापस सकुशल अपने घर लौट आए हैं। बांग्लादेश के 64 में से 47 जिलों में हुई हिंसा में अब तक कुल 114 लोगों की मौत हो चुकी है तो वही 1,500 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं।
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भारतीय उच्चायोग ने 13 नेपाली छात्रों को भी वहां से निकालने में मदद की है। वही हिसंक प्रदर्शन के बाद भारतीय रेलवे ने शनिवार को कोलकाता-ढाका मैत्री एक्सप्रेस और रविवार को कोलकाता और खुलना के बीच बंधन एक्सप्रेस को रद्द कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने जानकारी देते हुए कहा कि बांग्लादेश में 8,500 छात्रों समेत कुल 15,000 भारतीय सुरक्षित हैं।
Bangladesh Violence
सूत्रों के मुताबिक भारत-बांग्लादेश सीमा क्रॉसिंग बेनापोल-पेट्रापोल, गेडे-दर्शन और अखौरा-अगरतला छात्रों और भारतीय नागरिकों के घर वापसी की खातिर खुले है। बता दें कि इस हप्ते बांग्लादेश में स्थिति और खराब हो गई है। यहां सरकारी टीवी,स्कूल,कॉलेज और कई सरकारी दफ्तर बंद कर दिए गए हैं। वहीं बस और ट्रेन सेवाओं को रोकना पड़ा है। देशभर में स्कूल और विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया गया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आरक्षण विरोधी हिंसा भड़कने के बाद शनिवार को पुलिस ने पूरे देश में कठोर कर्फ्यू लागू कर दिया और सेना के जवानो ने ढाका के विभिन्न हिस्सों में गश्त की। बता दे कि बांग्लादेश में हिंसा भड़कने से कई लोगों की मौत हुई है जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।
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सूत्रों के मुताबिक रविवार सुबह 10 बजे से कर्फ्यू फिर से लागू रहेगा। वही सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के महासचिव और सांसद उबेद-उल-कादर ने बताया कि उपद्रवियों को “देखते ही गोली मारने” का आदेश जारी किया गया है। प्रदर्शनकारी उस प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं जिसके तहत 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में लड़ने वाले पूर्व सैनिकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जाता है।
प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि यह प्रणाली भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री शेख हसीना के समर्थकों को लाभ पहुंचा रही है। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पार्टी ने मुक्ति आंदोलन का नेतृत्व किया था। छात्र चाहते हैं कि इसे योग्यता आधारित प्रणाली में तब्दील किया जाए। वहीं हसीना ने आरक्षण प्रणाली का बचाव करते हुए कहा कि युद्ध में भाग लेने वालों को सम्मान मिलना चाहिए भले ही वे किसी भी राजनीतिक संगठन से जुड़े हों।