Bakrid Controversy
मोरक्को। ईद-उल-अजहा यानी बकरीद, इस्लाम धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे पूरी दुनिया में श्रद्धा और परंपरा के साथ मनाया जाता है। इस मौके पर जानवरों की कुर्बानी दी जाती है, जो अल्लाह की राह में अपने सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी देने का प्रतीक है। लेकिन इस साल अफ्रीकी देश मोरक्को में यह त्योहार कुछ अलग तरीके से मनाया जाएगा।
मोरक्को के राजा मोहम्मद VI ने ऐलान किया है कि इस बार देश में बकरीद पर किसी भी जानवर की कुर्बानी नहीं दी जाएगी। यह फैसला देश में लगातार सात वर्षों से पड़ रहे भयंकर सूखे और पशुधन की घटती संख्या को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। राजा का कहना है कि जलवायु संकट और आर्थिक कठिनाइयों को देखते हुए यह निर्णय जनहित में लिया गया है।
Bakrid Controversy
मोरक्को, जहां 99 फीसदी आबादी मुस्लिम है, वहां यह फैसला काफी चौंकाने वाला माना जा रहा है। लोगों में इस आदेश को लेकर काफी गुस्सा है। राजा मोहम्मद VI के इस शाही फरमान के बाद सुरक्षाबलों ने देश के कई हिस्सों में छापेमारी शुरू कर दी है ताकि लोग चोरी-छिपे कुर्बानी न कर सकें। कई घरों से बकरे और भेड़ें जब्त की गई हैं। जानवरों की खरीद-बिक्री पर भी रोक लगा दी गई है।
लोगों का कहना है कि बकरीद पर कुर्बानी देना न केवल धार्मिक परंपरा है बल्कि एक आध्यात्मिक अभ्यास भी है, जो अल्लाह की भक्ति और विश्वास का प्रतीक है। ऐसे में सरकार द्वारा इस पर प्रतिबंध लगाए जाने को धार्मिक स्वतंत्रता में दखल माना जा रहा है। विरोध स्वरूप कई लोग सड़कों पर उतर आए हैं और सरकार के इस कदम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
Bakrid Controversy
हालांकि, सरकार का कहना है कि यह फैसला परिस्थिति को देखते हुए जरूरी था। इस साल मोरक्को में औसत से 53% कम बारिश हुई है, जिससे पशुओं के चारे की भारी कमी हो गई है। इसके चलते देश में पशुधन की संख्या में लगभग 38% की गिरावट आई है। इसके अलावा मांस की कीमतें भी रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच चुकी हैं, जिससे सामान्य लोगों के लिए कुर्बानी करना मुश्किल हो गया है।
राजा मोहम्मद VI ने टेलीविजन पर अपने संदेश में जनता से अपील की है कि वे इस साल कुर्बानी की जगह दान-पुण्य और इबादत के जरिए बकरीद मनाएं। उन्होंने कहा कि यह कदम अस्थायी है और देश के हालात सुधरने के बाद परंपराएं दोबारा बहाल होंगी।
Bakrid Controversy
यह पहला मौका नहीं है जब मोरक्को में बकरीद पर कुर्बानी को लेकर कोई अपील की गई हो। 1966 में भी तत्कालीन राजा हसन II ने ऐसे ही सूखे के समय कुर्बानी न करने का आग्रह किया था। इस बार सरकार ने ऑस्ट्रेलिया से 1 लाख भेड़ों का आयात करने और पशु आयात पर टैक्स और वैट हटाने जैसे कदम उठाए हैं ताकि मांस की आपूर्ति बनी रहे और आम जनता को राहत मिल सके।
मोरक्को का यह फैसला दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गया है। कई मुस्लिम देशों में इसे धार्मिक रीति-रिवाजों में हस्तक्षेप माना जा रहा है, जबकि कुछ लोग इसे पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर लिया गया जिम्मेदार कदम भी कह रहे हैं।