
बलरामपुर-रामानुजगंज, 28 जुलाई। Bad Education System : जिले के कुसमी विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत मड़वा स्थित प्राथमिक शाला घोड़ासोत से सरकारी शिक्षा व्यवस्था की चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो ने स्कूली शिक्षा की गंभीर स्थिति को उजागर कर दिया है, जहाँ शिक्षक न तो देश के राष्ट्रपति का नाम बता पाए और न ही सामान्य अंग्रेजी शब्दों की सही वर्तनी लिख सके।
शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता पर गंभीर सवाल
Bad Education System : वायरल वीडियो में स्कूल के प्रधान पाठक सहित तीन शिक्षक यह तक नहीं बता सके कि भारत के वर्तमान राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, जिले के कलेक्टर और एसपी कौन हैं। जब उनसे अंग्रेजी के सामान्य शब्द जैसे “Eleven”, “Eighteen”, “Nineteen” लिखने को कहा गया, तो वे इसकी सही स्पेलिंग भी नहीं लिख पाए। यह स्थिति साफ दर्शाती है कि स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों की बुनियादी अंग्रेजी ज्ञान बेहद कमजोर है।
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बच्चे भी नहीं दे सके सामान्य ज्ञान के उत्तर
मीडियाकर्मियों ने जब बच्चों से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री जैसे सामान्य जानकारी के प्रश्न पूछे, तो वे भी उत्तर देने में असमर्थ रहे। इससे यह साफ हुआ कि विद्यार्थियों को शिक्षकों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही है, और उनका बौद्धिक विकास प्रभावित हो रहा है।
प्रशासनिक निगरानी पर भी उठे सवाल
Bad Education System : इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल स्कूल की कार्यप्रणाली बल्कि जिले की शिक्षा प्रणाली की मॉनिटरिंग पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं। स्थानीय लोगों और अभिभावकों का आरोप है कि शिक्षा विभाग की ओर से नियमित निरीक्षण नहीं होते, जिससे शिक्षक लापरवाह बने हुए हैं और बच्चों की पढ़ाई को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहे।

DEO ने दिए जांच और कार्रवाई के संकेत
Bad Education System : मीडिया से बातचीत में बलरामपुर जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने वीडियो की पुष्टि करते हुए कहा कि मामले की जांच की जा रही है। जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए जमीनी स्तर पर प्रयास करने की बात कही गई है।
शिक्षा में बदलाव की बारी
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि ग्रामीण इलाकों में शिक्षा व्यवस्था आज भी उपेक्षित है। जब शिक्षक ही बुनियादी ज्ञान से वंचित हों, तो बच्चों का भविष्य कैसे उज्ज्वल हो सकता है? अब देखना यह होगा कि यह मामला केवल जांच और आश्वासन तक सीमित रहता है या प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस सुधारात्मक कदम उठाए जाते हैं।