Babri Masjid Demolition Anniversary
अयोध्या। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में रामजन्मभूमि पर बने भव्य राम मंदिर के बीच यह जान लेना महत्वपूर्ण होगा कि यह विवादित स्थल पर बनी बाबरी मस्जिद को छह दिसंबर 1992 के दिन कारसेवकों द्वारा ढहा दिया गया था। जिसके बाद उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक पूरे देश में भयंकर दंगे की शुरुआत हो गई थी। जिनमें जान-माल का भारी नुकसान हुआ था।
ये विवादित ढांचा अयोध्या शहर में रामकोट पहाड़ी जिसे राम का किला के नाम से जाना जाता था वहां स्थित था। आज इस घटना को 32 साल हो गए हैं। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में घटी यह घटना इतिहास में प्रमुखता के साथ दर्ज है, जब राम मंदिर की सांकेतिक नींव रखने के लिए कारसेवकों की उमड़ी भीड़ ने बाबरी मस्जिद को विध्वंस दिया था।
Babri Masjid Demolition Anniversary
इस घटना के बाद देश के कई इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिनमें जान-माल का भारी नुकसान हुआ था। 6 दिसंबर को हिन्दू समाज “शौर्य दिवस” के रूप में मनाते है तो मुस्लिम समाज “काले दिवस (ब्लैक डे)” के रूप में मानते है। गौरतलब है कि बाबरी विध्वंस की वजह से काफी लंबे वक्त तक अयोध्या में तनाव बना रहा था।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के शासन में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाई गई बाबरी मस्जिद विध्वंस की साजिश का आरोप कल्याण सिंह,लाल कृष्ण आडवाणी,मुरली मनोहर जोशी के ऊपर लगे थे जिसके बाद भाजपा के इन सभी वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ कोर्ट में केस भी चला।
Babri Masjid Demolition Anniversary
बाबरी मस्जिद का निर्माण 1527 में मुगल शासक बाबर के आदेश पर किया गया जिसके कारण इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा गया था। बता दें, कि बाबरी विध्वंस की घटना ने न केवल देश की राजनीति को प्रभावित किया, बल्कि हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव को भी बढ़ाया, जिससे देश भर में सांप्रदायिक दंगे और हिंसा भड़क उठी थी।
बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को लगभग डेढ़ लाख लोगों की इस रैली में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद इस भीड़ ने विवादित ढांचे को ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद पूरे देश में दंगे शुरू हो गए थे इन दंगों में 2000 से भी ज्यादा लोगों के मारे जाने का आंकड़ा सामने आया था।
वहीं बाबरी मस्जिद पर 2019 में सुप्रीमकोर्ट द्वारा हिंदू पक्ष के फेवर में फैसला सुनाया गया जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में रामलला के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की और इस तरह से करीब 500 सालों के बाद एक बार फिर से रामलला गर्भ गृह में स्थापित हो गए।
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