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Axiom Mission 4 Shubhanshu Shukla : शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा एक बार फिर टली, NASA का Axiom Mission-4 फिर स्थगित

Axiom Mission 4 Shubhanshu Shukla

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की बहुप्रतीक्षित अंतरिक्ष उड़ान एक बार फिर स्थगित हो गई है। नासा और Axiom Space द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किए गए Axiom Mission-4 को आज 11 जून को शाम 5:30 बजे (भारतीय समयानुसार) फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाना था, लेकिन लॉन्चिंग से कुछ ही समय पहले मिशन को फिर टालना पड़ा। लगातार चौथी बार इस मिशन की लॉन्चिंग को रोका गया है। इस बार लॉन्चिंग टलने की वजह LOX यानी लिक्विड ऑक्सीजन लीकेज को बताया गया है, जो रॉकेट की प्रणाली के लिए बेहद अहम होता है।

 

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बता दें कि यह मिशन पहले 29 मई को लॉन्च होना था, लेकिन तब किसी तकनीकी कारण से टाल दिया गया। इसके बाद इसे 8 जून और फिर 10 जून को शेड्यूल किया गया, लेकिन 10 जून को खराब मौसम के कारण मिशन को आगे बढ़ाना पड़ा। अब 11 जून को जब सबकी निगाहें एक बार फिर लॉन्चपैड पर थीं, तो टेक्निकल फॉल्ट ने एक बार फिर उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

Axiom Mission 4 Shubhanshu Shukla

Axiom Mission-4 एक प्राइवेट स्पेस मिशन है, जिसे अमेरिकी प्राइवेट स्पेस कंपनी Axiom Space ने तैयार किया है और नासा ने तकनीकी मदद दी है। इस मिशन की खास बात यह है कि इसमें पहली बार भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जा रहे हैं। शुभांशु 1984 में गए राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनेंगे। यह मिशन स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा, जिसमें एस्ट्रोनॉट्स Dragon Capsule में बैठकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) की यात्रा करेंगे।

इस मिशन में कुल चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं – शुभांशु शुक्ला (भारत) बतौर पायलट, पैगी व्हिटसन (अमेरिका) बतौर कमांडर, स्लावोज उज्नान्स्की (पोलैंड) और टिबोर कापू (हंगरी) बतौर मिशन स्पेशलिस्ट। पैगी व्हिटसन नासा की अनुभवी महिला अंतरिक्ष यात्री हैं और यह उनका दूसरा कॉमर्शियल ह्यूमन स्पेस मिशन होगा। गौरतलब है कि इस मिशन की अवधि कुल 14 दिन की होगी, जिसमें अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर रहकर सात प्रकार की वैज्ञानिक रिसर्च करेंगे।

Axiom Mission 4 Shubhanshu Shukla

वहीं इस मिशन में कुल 60 वैज्ञानिक शामिल हैं, जो 31 देशों का प्रतिनिधित्व करेंगे। तो वहीं वैज्ञानिक प्रयोगों में खासतौर पर भारत की इसरो और अमेरिका की नासा के बीच साझेदारी देखने को मिलेगी। कुल 12 वैज्ञानिक रिसर्च ISRO और NASA मिलकर करेंगे, जिनमें 7 रिसर्च भारतीय वैज्ञानिक और 5 अमेरिकी वैज्ञानिकों की ओर से होंगे। रिसर्च का दायरा व्यापक होगा — जिसमें सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में पौधों की वृद्धि, अंतरिक्ष में मानव शरीर (दिल, मस्तिष्क, मांसपेशियों) पर असर, और कई तकनीकी परीक्षण शामिल हैं।

बता दें कि करीब 5140 करोड़ रुपये के बजट वाला यह मिशन अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की भागीदारी को नई ऊंचाई देता है। यह न केवल शुभांशु शुक्ला के लिए बल्कि भारत के लिए गौरव का क्षण है। बार-बार स्थगित हो रही लॉन्चिंग भले ही निराशा का कारण बन रही हो, लेकिन अंतरिक्ष अभियानों में सुरक्षा और पूर्ण तकनीकी तैयारियों को प्राथमिकता दी जाती है।

वहीं अब अगली लॉन्च विंडो का इंतजार है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में तकनीकी समस्याएं पूरी तरह हल कर ली जाएंगी और शुभांशु शुक्ला के नेतृत्व में भारत का नाम एक बार फिर अंतरिक्ष में गूंजेगा।

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