ATTARI BORDER
राजस्थान के बारमेर जिले के 25 वर्षीय संजय सिंह को अपनी होने वाली पत्नी केसर कंवर से मिलने के लिए चार साल का लंबा इंतज़ार करना पड़ा, लेकिन बीएसएफ की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था ने उसे आखिरकार आत्मसात नहीं होने दिया। मिली जानकारी के मुताबिक संजय और अमरकोट (सिंध) की रहने वाली केसर की पारंपरिक रीति-रिवाजों से 2019 में सगाई हुई थी, पर वीज़ा संबंधी अड़चनों ने बार-बार उनके मिलन का रास्ता रोका। जब फरवरी में उन्हें पाकिस्तान का विजिट वीज़ा मिला, जो 18 फरवरी से 12 मई तक वैध था, तब दोनों ने 30 अप्रैल को शादी की ठोस तैयारी कर ली।
प्रेमियों की खुशियाँ तब ठिठक गईं जब 22 अप्रैल को जम्मू–कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने दोनों देशों के बीच कूटनीति और सीमा सुरक्षा को सख्त कर दिया। हमले में 27 लोग शहीद हुए और भारत ने पाकिस्तानी वीज़ा सेवाएँ निलंबित कर रद्दीकरण अभियान तेज कर दिया। इसी के मद्देनज़र संजय 25 अप्रैल की सुबह सेहरा बाँधे और शेरवानी में सजा बारात लेकर अटारी–वाघा बॉर्डर पहुंचा, लेकिन बीएसएफ ने नागरिकता न होने की शर्त पर उसके प्रवेश से इनकार कर दिया।
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संजय का परिवार, जिसमें करीब चालीस रिश्तेदार और मित्र शामिल थे, पीसीआर वीज़ा दिखाकर इंतज़ार करता रहा, लेकिन किसी भी अपील पर सुरक्षा बल अड़े रहे। एक ही पल में बारात का उल्लास अपनी गंवई खुशियों और अधूरी उम्मीदों में बदल गया। संजय ने बताया कि उन्होंने हर कानूनी प्रक्रिया पूरी कर रखी थी, लेकिन आकस्मिक कूटनीतिक तनाव ने उनकी शादी का सपना अधूरा छोड़ दिया। पाकिस्तान में उसकी दुल्हनिया के घर पर सज–संवर की तैयारियाँ राम–लीला की तरह सजी थीं, पर अटारी के कड़क परीक्षकों ने हुक्म सुना दिया – “यहाँ से आगे नहीं।”
इस अप्रत्याशित ठहराव ने सिर्फ दो युवकों का मिलन नहीं रोका, बल्कि सीमावर्ती समुदायों के बीच सदियों पुराने सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया। संजय की अपील है कि केंद्र सरकार संवाद स्थापित कर जल्द से जल्द सीमा पार की अनुमति दे, नहीं तो उन्हें यह शादी स्थगित करनी पड़ेगी और दोनों परिवारों की मान–मर्यादा ठेस पहुँच सकती है। फिलहाल दोनों देशों के विदेश मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियाँ वार्ता के लिए तैयार नहीं दिख रहीं, लेकिन 12 मई तक वीज़ा की वैधता के भीतर यदि कोई रास्ता खुला, तो यह प्रेम कहानी फिर से पंख फैला सकती है।