Anti Naxal Operation Bijapur
बीजापुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र बीजापुर जिले में दो इनामी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। बता दें कि यह घटना राज्य सरकार और सुरक्षा बलों की समर्पण और पुनर्वास नीति की सफलता का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। दोनों नक्सली लंबे समय से पुलिस के निशाने पर थे और उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज थे।
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वहीं आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने स्वीकार किया कि वे हिंसा और रक्तपात से तंग आ चुके थे। वर्षों तक जंगलों में छिपकर पुलिस और सुरक्षा बलों से संघर्ष करने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि नक्सल आंदोलन के नाम पर निर्दोष ग्रामीणों और खुद उनके साथियों का भी शोषण किया जा रहा है।
Anti Naxal Operation Bijapur
कैसे हुआ आत्मसमर्पण?
खबरों से मिली जानकारी के अनुसार, पुलिस और प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे आत्मसमर्पण अभियान के तहत इन नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया गया। सरकार द्वारा पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों को समाज में सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर दिया जाता है, जिससे वे भी प्रभावित हुए।
बता दें कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में से एक पर लाखों रुपये का इनाम घोषित था। वे कई हिंसक वारदातों में शामिल रहे थे, जिनमें पुलिस बलों पर हमले, बारूदी सुरंग विस्फोट और निर्दोष ग्रामीणों की हत्याएँ शामिल थीं।
Anti Naxal Operation Bijapur
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
वहीं बीजापुर पुलिस अधीक्षक ने इसे सुरक्षा बलों की बड़ी कामयाबी बताते हुए कहा कि यह आत्मसमर्पण नक्सलियों के भीतर बढ़ती असंतोष और उनकी कमजोर होती स्थिति का संकेत है। पुलिस ने उम्मीद जताई कि भविष्य में और भी नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटेंगे।
तो वहीं सरकार और सुरक्षा बलों का मानना है कि इस तरह के आत्मसमर्पण से अन्य नक्सलियों को भी प्रेरणा मिलेगी। आत्मसमर्पित नक्सलियों को पुनर्वास योजनाओं के तहत आर्थिक सहायता, रोजगार के अवसर और सुरक्षित जीवन प्रदान किया जाएगा। बीजापुर में हुए इस आत्मसमर्पण से यह साफ है कि नक्सली आंदोलन अपनी पकड़ खो रहा है और अब कई उग्रवादी हिंसा छोड़कर शांति का मार्ग अपना रहे हैं।