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Anniversary : सूचना के अधिकार कानून की 20वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस का आरोप…! ‘मोदी सरकार ने आरटीआई को किया कमजोर

Anniversary: ​​On the 20th anniversary of the Right to Information Act, Congress alleges... 'Modi government has weakened RTI.'

Anniversary

रायपुर, 12 अक्टूबर। Anniversary : सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून की 20वीं वर्षगांठ पर प्रदेश कांग्रेस ने मोदी सरकार पर इसे कमजोर करने का गंभीर आरोप लगाया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित वरिष्ठ नेताओं ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकार वार्ता में कहा कि 12 अक्टूबर 2005 को यूपीए सरकार ने देश में आरटीआई लागू किया था, जो आम नागरिकों को सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही का अधिकार देता है। उन्होंने बताया कि आरटीआई ने गरीबों को राशन, पेंशन, छात्रवृत्ति जैसी बुनियादी सुविधाएं दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। लेकिन मोदी सरकार ने 2019 में संशोधन कर इस कानून की स्वतंत्रता को कमजोर किया, साथ ही 2023 में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम के तहत महत्वपूर्ण सार्वजनिक जानकारी छुपाने का रास्ता खोल दिया गया। कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सूचना आयोगों में रिक्त पदों को भरने में लापरवाही बरती जा रही है, जिससे आरटीआई की प्रभावी कार्यवाही बाधित हो रही है। साथ ही आरटीआई उपयोगकर्ताओं और व्हिसलब्लोअर्स पर हमले बढ़े हैं, जबकि उनकी सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून को मोदी सरकार ने लागू नहीं किया। प्रदेश कांग्रेस ने केंद्र सरकार से 2019 के संशोधनों को रद्द करने, आयोगों की स्वतंत्रता बहाल करने, रिक्त पद तुरंत भरने, व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन कानून लागू करने और आयोगों में विविधता सुनिश्चित करने की मांग की है। भूपेश बघेल ने कहा, आरटीआई कमजोर होना लोकतंत्र की कमजोरी है। इसे सशक्त बनाकर ही हर नागरिक निडर होकर सवाल पूछ सकेगा और सही जवाब पा सकेगा।” पत्रकार वार्ता में कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता भी मौजूद थे। कांग्रेस ने आरटीआई कानून की रक्षा और सशक्तिकरण के प्रति अपने संकल्प को दोहराया है ताकि लोकतंत्र की जड़े मजबूत बनी रहें।

कांग्रेस की मांग

1. 2019 के संशोधनों को निरस्त कर सूचना आयोगों की स्वतंत्रता बहाल की जाए और आयुक्तों के लिए 5 वर्ष का निश्चित कार्यकाल व सुरक्षित सेवा शर्तें सुनिश्चित की जाएँ। 2. डीपीडीपी अधिनियम की उन धाराओं (धारा 44(3)) की समीक्षा व संशोधन किया जाए जो आरटीआई के जनहित उद्देश्य को कमज़ोर करती हैं। 3. केंद्र और राज्य आयोगों में सभी रिक्तियाँ पारदर्शी व समयबद्ध प्रक्रिया के माध्यम से तुरंत भरी जाएँ। 4. आयोगों के लिए कार्य निष्पादन मानक तय किए जाएँ और निपटान दर की सार्वजनिक रिपोर्टिंग अनिवार्य की जाए। 5. व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन अधिनियम को पूर्ण रूप से लागू कर आरटीआई उपयोगकर्ताओं और व्हिसल ब्लोअर को सशक्त सुरक्षा प्रदान की जाए। 6. आयोगों में विविधता सुनिश्चित की जाए पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और महिला प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।
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