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Friday, October 17, 2025

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Ankita Bhandari Murder Case : अंकिता भंडारी हत्याकांड में दोषियों को उम्रकैद, कोर्ट ने सुनाया फैसला

Ankita Bhandari Murder Case

उत्तराखंड को झकझोर देने वाले बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोटद्वार की अदालत ने आज बड़ा फैसला सुनाते हुए तीनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। 19 वर्षीय अंकिता की हत्या सितंबर 2022 में हुई थी, जब उसे ऋषिकेश के पास चीला नहर में धक्का देकर मार दिया गया था। अंकिता पौड़ी जिले के गंगा भोगपुर स्थित वनंत्रा रिज़ॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम करती थी। इस रिज़ॉर्ट का मालिक पुलकित आर्य था, जो भाजपा के पूर्व नेता विनोद आर्य का बेटा है।

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गौरतलब है कि जांच में सामने आया कि अंकिता पर रिजॉर्ट में आने वाले वीआईपी मेहमानों को “एक्स्ट्रा सर्विस” देने का दबाव डाला गया था। जब उसने इससे इनकार कर दिया और यह बात उजागर करने की धमकी दी, तो पुलकित आर्य ने अपने दो कर्मचारियों—सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता के साथ मिलकर उसे नहर में धक्का देकर मार डाला। 18 सितंबर 2022 को अंकिता लापता हुई और छह दिन बाद उसका शव चीला शक्ति नहर से बरामद हुआ।

Ankita Bhandari Murder Case

मामले के उजागर होते ही पूरे राज्य में भारी आक्रोश फैल गया। स्थानीय लोगों ने पुलकित आर्य के रिजॉर्ट को आग के हवाले कर दिया और भाजपा विधायक की गाड़ी पर भी हमला किया। वहीं जनता के गुस्से को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विशेष जांच टीम (SIT) गठित की और रिजॉर्ट को प्रशासनिक आदेश पर ध्वस्त कर दिया गया।

जिसके बाद भाजपा ने तत्काल प्रभाव से पुलकित के पिता विनोद आर्य को पार्टी से निष्कासित कर दिया और उसके भाई अंकित आर्य को OBC आयोग के उपाध्यक्ष पद से हटाया गया।

वहीं SIT ने 97 गवाह बनाए, जिनमें से 47 ने अदालत में गवाही दी। अभियोजन पक्ष ने करीब 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की और जनवरी 2023 से नियमित सुनवाई शुरू हुई। दो साल आठ महीने बाद कोर्ट ने तीनों आरोपियों को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया है।

Ankita Bhandari Murder Case

फैसले के दिन कोटद्वार कोर्ट परिसर में भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया था। देहरादून, हरिद्वार, टिहरी और उत्तरकाशी से अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया, पीएसी की डेढ़ कंपनी और चार मजिस्ट्रेटों की तैनाती की गई थी। कोर्ट परिसर के 200 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू कर दी गई थी ताकि कोई प्रदर्शन या नारेबाज़ी न हो सके।

यह फैसला सिर्फ कानूनी प्रक्रिया का अंत नहीं, बल्कि एक साहसी युवती को न्याय दिलाने की दिशा में पूरे समाज की लड़ाई की जीत भी मानी जा रही है।

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