AMIT SHAH CALLED A MEETING
नई दिल्ली। भारतीय सरकार ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को स्थगित करने का ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस कदम के बाद, गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्रीय मंत्रियों की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल समेत कई वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री शामिल हो सकते हैं। यह बैठक पाकिस्तान के साथ जल समझौते पर स्थिति को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए हो रही है।
सिंधु जल संधि का निलंबन
भारत सरकार ने पाकिस्तान को औपचारिक पत्र भेजकर सिंधु जल संधि के निलंबन की सूचना दी है। जल शक्ति मंत्रालय में सचिव देवश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैय्यद अली मुर्तुजा को यह पत्र लिखा है। पत्र में भारत ने कहा है कि संधि की कई मौलिक बातें बदल चुकी हैं, जिनमें जनसंख्या वृद्धि, स्वच्छ ऊर्जा का विकास और जल बंटवारे के सिद्धांतों में परिवर्तन जैसे मुद्दे शामिल हैं।
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भारत सरकार ने यह भी कहा कि सुरक्षा के लिहाज से उत्पन्न अनिश्चितता के कारण वह संधि के तहत मिल रहे अधिकारों का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पा रही है। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, जिसके कारण भारत के लिए समझौते के पालन में कई बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं।
पाकिस्तान का रुख और भारत का निर्णय
भारत ने पाकिस्तान से यह भी कहा है कि वह सिंधु जल संधि के कई शर्तों का पालन नहीं कर रहा है और न ही भारत के साथ इस संधि पर कोई बातचीत करने के लिए तैयार है। भारत के लिए यह असहनीय हो गया है, और इसलिए उसने यह निर्णायक कदम उठाया है।
भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह संधि के तहत अपने अधिकारों का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है, क्योंकि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, जिससे भारत की सुरक्षा पर खतरा उत्पन्न हो रहा है। इस स्थिति को देखते हुए, भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय लिया है।
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प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों पर बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को सुरक्षा मामलों से जुड़ी कैबिनेट कमेटी की बैठक हुई थी, जिसमें कड़े फैसले लिए गए। इस बैठक में सिंधु जल संधि को स्थगित करने का भी निर्णय लिया गया था। यह बैठक सुरक्षा और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इसमें पाकिस्तान से संबंधित कई महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा हुई थी।
सिंधु जल संधि का इतिहास
सिंधु जल संधि, जिसे 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित किया गया था, दोनों देशों के लिए जल संसाधनों के बंटवारे का मुख्य आधार है। इस समझौते के तहत पाकिस्तान को सिंधु नदी और उसकी चार सहायक नदियों से पानी का अधिकार प्राप्त था, जबकि भारत को अन्य नदियों से जल प्राप्ति का अधिकार था।
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सिंधु नदी पाकिस्तान के लिए जीवन रेखा मानी जाती है, क्योंकि वहां की 21 करोड़ से अधिक की आबादी अपनी पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस नदी पर निर्भर है। इस समझौते को दोनों देशों के बीच जल विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता था।
लेकिन, पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने और संधि की शर्तों का उल्लंघन करने के कारण भारत ने अब इस समझौते को स्थगित करने का निर्णय लिया है। यह कदम भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक नया मोड़ ला सकता है और भविष्य में जल विवादों को लेकर दोनों देशों के बीच और भी गंभीर विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।