Amethi Lok Sabha Seat
अमेठी। अमेठी लोकसभा सीट देश की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है। शुरू से इस सीट से गांधी परिवार का गहरा नाता रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दोनों बेटे राजीव और संजय इस सीट से सांसद रह चुके हैं। राजीव गांधी ने अमेठी लोकसभा सीट से लगातार चार बार जीत दर्ज कर नया इतिहास रचा था। बीते लोकसभा चुनाव में अमेठी में भले ही भाजपा ने जीत हासिल कर ली हो, लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब अमेठी लोकसभा सीट पर बड़े-बड़े राजनीतिक योद्धाओं को हार का सामना करना पड़ा।
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अपने छोटे भाई संजय गांधी के निधन के बाद उनकी राजनीतिक विरासत संभालने अमेठी आए राजीव गांधी को यहां की जनता ने हमेशा अपने सिर माथे बिठाया जिससे वह अमेठी की चुनावी रणभूमि के अजेय योद्धा बने रहे। राजीव गांधी 1981 से अपने निधन तक अमेठी से सांसद थे।
Amethi Lok Sabha Seat
प्रधानमंत्री बनने के बाद राजीव गांधी ने भी देश व दुनिया में अमेठी का मान बढ़ाया। साल 1991 में जब राजीव गांधी की हत्या हुई थी, तब लोकसभा चुनाव चल रहे थे और 20 मई 1991 को अमेठी में वोटिंग हुई थी और अगले ही दिन 21 मई को राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। इन चुनावों में राजीव गांधी को 54 फीसदी वोट मिले थे, वहीं उनकी करीबी प्रतिद्वंदी को सिर्फ 22 फीसदी वोट ही मिले थे।
राजीव गांधी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अमेठी से की थी और एक के बाद एक 4 लोकसभा चुनाव जीतकर जीवन के अंत तक अमेठी से ही सांसद बने रहे। 1991 के आम चुनाव में अमेठी सीट पर कांग्रेस से राजीव गांधी व भाजपा के रविंद्र प्रताप सिंह के बीच कड़ा मुकाबला था। तब 20 मई को मतदान हुआ था और 21 मई को राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में चुनावी रैली के दौरान हत्या कर दी गई थी।
जब मतों की गिनती हुई तो राजीव गांधी को 53.23 फीसदी वोट हासिल हुए, वहीं भाजपा के रविंद्र प्रताप सिंह को 21.35 फीसद मत प्राप्त हुए। इन चुनावों में दिवंगत राजीव गांधी 1 लाख 12 हजार 85 मतों से विजयी हुए थे।