ADR REPORT
रायपुर। देश की राजनीति में महिला भागीदारी भले ही बढ़ रही हो, लेकिन हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट ने चौंकाने वाले आंकड़े उजागर किए हैं। चुनाव सुधारों पर काम करने वाले प्रमुख संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, देश की कुल 512 महिला सांसदों और विधायकों में से 143 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह कुल महिला जनप्रतिनिधियों का लगभग 28% है। इनमें से 78 महिलाएं ऐसी हैं जिनके खिलाफ हत्या, अपहरण, गंभीर मारपीट और जबरन वसूली जैसे गंभीर अपराधों में केस दर्ज हैं।
खबरों से मिली जानकारी के अनुसार, महिला जनप्रतिनिधियों में से 15% पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब महिलाओं को राजनीति में सशक्त बनाने के लिए महिला आरक्षण बिल की चर्चा जोरों पर है। लेकिन आंकड़े यह भी दिखाते हैं कि राजनीतिक दलों ने टिकट देने में उम्मीदवार की छवि से ज़्यादा उसकी जीत की संभावना को प्राथमिकता दी है, चाहे उस पर आपराधिक केस ही क्यों न हो।
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ADR REPORT
वहीं रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के 28 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 4123 विधायकों में से 4092 के हलफनामों का विश्लेषण किया गया, जिनमें से 45% विधायकों पर किसी न किसी प्रकार के आपराधिक मामले दर्ज पाए गए। आंध्र प्रदेश में स्थिति सबसे चिंताजनक है, जहां कुल 174 विधायकों में से 138 यानी 79% ने अपने हलफनामे में आपराधिक मामले स्वीकार किए हैं। वहीं सिक्किम में सबसे बेहतर स्थिति रही, जहां केवल एक विधायक पर मामला दर्ज है।
जब पार्टी स्तर पर महिला नेताओं की स्थिति का विश्लेषण किया गया, तो पाया गया कि भारतीय जनता पार्टी की 217 महिला सांसदों और विधायकों में से 23% पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से 11% पर गंभीर अपराधों के केस हैं। कांग्रेस की 83 महिला नेताओं में से 34% के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज हैं और इनमें से 20% के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज है। तेलुगु देशम पार्टी की 20 महिला जनप्रतिनिधियों में से 65% पर आपराधिक केस और 45% पर गंभीर आरोप हैं। आम आदमी पार्टी की स्थिति और भी चिंताजनक है, जहां 13 में से 69% महिला नेता आपराधिक मामलों में नामजद हैं और 31% पर गंभीर आरोप हैं।
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इस रिपोर्ट में महिला नेताओं की संपत्ति का भी विश्लेषण किया गया है। 17 महिला सांसदों और विधायकों ने चुनावी हलफनामों में अपने पास 100 करोड़ या उससे अधिक की संपत्ति होने की घोषणा की है। इनमें 6 लोकसभा, 3 राज्यसभा और 8 विधानसभा सदस्य शामिल हैं। सभी 512 महिला नेताओं की कुल घोषित संपत्ति ₹10,417 करोड़ है, यानी औसतन प्रत्येक महिला जनप्रतिनिधि के पास ₹20.34 करोड़ की संपत्ति है।
शैक्षणिक योग्यता के लिहाज़ से देखा जाए तो 71% महिला नेता ग्रेजुएट या उससे ऊपर की पढ़ाई कर चुकी हैं। वहीं, 24% ने 5वीं से 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त की है और 12 महिला नेताओं ने डिप्लोमा किया है। उम्र के आधार पर देखा जाए तो 64% महिला सांसद और विधायक 41 से 60 वर्ष की आयु वर्ग में हैं, जबकि 22% की उम्र 25 से 40 के बीच और 14% की उम्र 61 से 80 के बीच है।
इस रिपोर्ट के साथ ADR ने राजनीतिक दलों को मिले चंदे और उनके खर्च का भी खुलासा किया है। वित्त वर्ष 2023-24 में भाजपा को सबसे ज्यादा ₹4340.47 करोड़ का चंदा मिला, जिसमें से उसने ₹2211.69 करोड़ यानी 51% खर्च किया। वहीं कांग्रेस को ₹1225.12 करोड़ चंदा मिला और उसने ₹1025.25 करोड़ यानी करीब 84% खर्च कर दिए। आम आदमी पार्टी को ₹22.68 करोड़ का चंदा मिला, लेकिन उसने उससे ज्यादा ₹34.09 करोड़ खर्च किए।
ADR की यह रिपोर्ट राजनीतिक दलों के उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया, अपराध और धनबल के बढ़ते प्रभाव, और महिला राजनीति के बदलते स्वरूप पर गंभीर सवाल खड़े करती है।