रायपुर, 11 अगस्त। Action by the EC : भारत निर्वाचन आयोग ने देशभर में निष्क्रिय और कागजी राजनीतिक दलों पर कड़ा शिकंजा कसते हुए 344 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) की मान्यता समाप्त कर दी है।
इस ऐतिहासिक और साफ-सुथरी चुनाव प्रक्रिया की दिशा में उठाए गए कदम के तहत इन दलों को तकनीकी रूप से डीलिस्ट कर दिया गया है। इस बड़ी कार्रवाई की जद में छत्तीसगढ़ के भी 9 राजनीतिक दल आए हैं, जो अब निर्वाचन आयोग की सूची से हटा दिए गए हैं।
जांच का आदेश और निष्कर्ष
निर्वाचन आयोग ने यह कार्रवाई जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत की है। इस धारा के अनुसार, प्रत्येक पंजीकृत राजनीतिक दल को अपने नाम, पता और पदाधिकारियों की जानकारी आयोग को देनी होती है। इनमें किसी भी प्रकार का बदलाव होने पर इसकी सूचना तत्काल आयोग को देना अनिवार्य होता है। साथ ही, यदि कोई दल लगातार 6 वर्षों तक किसी भी चुनाव में भाग नहीं लेता, तो उसे डीलिस्ट किया जा सकता है।
जून 2025 में निर्वाचन आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) को निर्देश दिया था कि वे 345 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की गतिविधियों, दस्तावेजों और नियमों के पालन की गहन जांच करें। जांच में पाया गया कि, कई दल चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय नहीं थे। उन्होंने आयोग को अपनी अद्यतन जानकारी नहीं दी थी। कुछ दल केवल कागजों में ही अस्तित्व में थे और इनकी कोई जमीनी गतिविधि नहीं पाई गई।
मान्यता रद्द पार्टियां
छत्तीसगढ़ एकता पार्टी
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा
छत्तीसगढ़ समाजवादी पार्टी
छत्तीसगढ़ संयुक्त जातीय पार्टी
छत्तीसगढ़ विकास पार्टी
पृथक बस्तर राज्य पार्टी
राष्ट्रीय आदिवासी बहुजन पार्टी
राष्ट्रीय मानव एकता कांग्रेस पार्टी
राष्ट्रीय समाजवाद पार्टी (संविधान मोर्चा)
देश में वर्तमान स्थिति
चुनाव आयोग की इस कार्रवाई के बाद अब भारत में 6 राष्ट्रीय दल, 67 राज्य स्तरीय दल (क्षेत्रीय दल) और 2,854 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल शेष रह गए हैं। निर्वाचन आयोग का मानना है कि यह कदम राजनीतिक दलों की जवाबदेही बढ़ाने और चुनावी प्रणाली को पारदर्शी बनाने की दिशा में अहम साबित होगा। आयोग ने स्पष्ट किया कि यह कवायद भविष्य में भी जारी रहेगी, जिससे निष्क्रिय और बेवजह पंजीकृत दलों को हटाया जा सके।
छत्तीसगढ़ के जिन 9 दलों की मान्यता समाप्त हुई है, उनके नामों की घोषणा आयोग द्वारा जल्द की जाएगी। फिलहाल राज्य में मौजूद सक्रिय क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दलों को इससे कोई असर नहीं पड़ा है। यह कार्रवाई यह भी संकेत देती है कि आने वाले समय में फर्जीवाड़े, बेनामी चंदा, और राजनीतिक दलों के नाम पर ग़ैर-कानूनी गतिविधियों पर निर्वाचन आयोग की नजर और सख्त होने वाली है।