रायपुर, 27 सितंबर। Acid Attack Victim : छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले की एक 21 वर्षीय किशोरी (बदला हुआ नाम) को एसिड दुर्घटना के बाद जब डॉक्टरों ने उसका संक्रमित पैर काटने की सलाह दी, तब लगा जैसे उसका भविष्य अंधकारमय हो गया है। लेकिन रायपुर के प्रख्यात कॉस्मेटिक व रिकंस्ट्रक्टिव सर्जन डॉ. सुनील कालड़ा के अथक प्रयासों और राज्य सरकार की संवेदनशीलता ने इस बेटी को न केवल उसका पैर, बल्कि एक नई जिंदगी भी लौटा दी।
एसिड दुर्घटना से गंभीर स्थिति
किशोरी के शरीर पर दुर्घटनावश तेज़ाब गिर जाने से उसकी त्वचा कंधे से लेकर पैरों तक बुरी तरह झुलस गई थी। विशेष रूप से दाईं ओर की कमर से लेकर पैर तक का हिस्सा संक्रमित हो गया था। स्थानीय डॉक्टरों ने संक्रमण की गंभीरता देखते हुए पैर को काटने की सलाह दी, जिससे पूरा परिवार सदमे में आ गया।
NGO कार्यकर्ता ने दिखाई संवेदनशीलता
इसी बीच NGO कार्यकर्ता मार्को जी को इस गंभीर मामले की जानकारी मिली। उन्होंने तुरंत स्वास्थ्य मंत्री से संपर्क कर किशोरी की सहायता की गुहार लगाई। मंत्रीजी ने मुख्यमंत्री से विशेष निवेदन किया और राज्य सरकार ने आर्थिक व चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने की सहमति दी।
डॉ. कालड़ा ने दो माह तक किया इलाज
इसके बाद किशोरी को रायपुर लाया गया, जहां डॉ. सुनील कालड़ा ने करीब 2-3 महीने तक निरंतर उपचार और निगरानी के बाद उसे पूरी तरह से स्वस्थ किया। जटिल सर्जरी और अत्याधुनिक उपचार के बाद आज वह किशोरी सकुशल अपने घर लौट रही है, जो कि एक मिसाल है- मानवता, चिकित्सा और सरकारी सहयोग की।
चमत्कारी सर्जरी के लिए प्रसिद्ध हैं डॉ. कालड़ा
डॉ. सुनील कालड़ा, जो पिछले 34 वर्षों से प्लास्टिक और रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के क्षेत्र में सेवा दे रहे हैं, उन्होंने बताया कि वे अब तक 2800 से अधिक कटे हुए अंगों को सफलतापूर्वक जोड़ चुके हैं। उन्हें शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान, डॉ. बी.सी. रॉय अवार्ड, इमर्जिंग छत्तीसगढ़ अवार्ड, और गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स जैसे कई सम्मान प्राप्त हैं।
डॉ. कालड़ा बताते हैं कि इस तरह की सर्जरी माइक्रोस्कोप की सहायता से की जाती है, जिसमें एक-एक नस को जोड़ा जाता है। इलाज के दौरान मरीज को लंबे समय तक सघन निगरानी (ICU) में रखना पड़ता है।
डॉ. कालड़ा की सलाह, अगर किसी दुर्घटना में अंग कट जाए, तो उसे तुरंत पॉलिथीन में बर्फ के साथ सुरक्षित करके डॉक्टर के पास लाएं। जितनी जल्दी इलाज होगा, अंग को जोड़ने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अत्यधिक कुचले गए या कई जगह से कटे अंगों को जोड़ना हमेशा संभव नहीं होता।
देश में दुर्लभ हैं ऐसे ऑपरेशन
डॉ. कालड़ा ने बताया कि इस तरह के सूक्ष्म और जटिल ऑपरेशन देश में बहुत कम स्थानों पर ही होते हैं, क्योंकि इसके लिए विशेष कौशल, तकनीक और अनुभव की जरूरत होती है।
यह घटना केवल चिकित्सा चमत्कार नहीं, बल्कि सरकारी इच्छाशक्ति, सामाजिक सहयोग और मानवीय संवेदनशीलता का प्रतीक बन चुकी है। एक बच्ची का बचा हुआ भविष्य अब मुस्कराएगा, उसके पैर और आत्मबल दोनों सलामत हैं।


