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Friday, June 20, 2025

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ACB-EOW Raid : तेंदूपत्ता बोनस घोटाले में पूर्व विधायक के घर ACB-EOW की छापेमारी, मनीष कुंजाम पर संदेह की सुई

ACB-EOW Raid

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में तेंदूपत्ता संग्राहकों को मिलने वाले बोनस की राशि के कथित घोटाले की जांच ने नया मोड़ ले लिया है। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की संयुक्त टीम ने गुरुवार सुबह बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व विधायक और आदिवासी नेता मनीष कुंजाम के आवास समेत 12 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की।

ACB-EOW द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि यह छापेमारी वर्ष 2021-22 में संग्राहकों को दिए जाने वाले करीब 7 करोड़ रुपए के विशेष बोनस में हुई अनियमितताओं की जांच के तहत की गई। अधिकारियों ने बताया कि पूर्व डीएफओ अशोक पटेल, तेंदूपत्ता प्रबंधक, वन विभाग के कर्मचारी और अन्य लोगों की मिलीभगत से यह राशि बांटी ही नहीं गई।

ACB-EOW Raid

छापेमारी के दौरान टीमों ने विभिन्न ठिकानों से 26 लाख 63 हजार 700 रुपए नकद, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, बैंक खाते और संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज जब्त किए हैं। कार्रवाई सुबह 6 बजे सुकमा, कोंटा, एर्राबोर, फूलबगड़ी और पलचलमा समेत विभिन्न स्थानों पर की गई।

दिलचस्प बात यह है कि इस घोटाले की शिकायत स्वयं मनीष कुंजाम ने 8 जनवरी 2025 को सुकमा कलेक्टर से की थी। उन्होंने ही सबसे पहले संग्राहकों को उनका बोनस न दिए जाने का मामला उठाया था, जिसके बाद जांच शुरू हुई और तत्कालीन डीएफओ अशोक पटेल को निलंबित किया गया।

ACB-EOW Raid

अब उसी शिकायतकर्ता पर जांच एजेंसी की नजर है। ACB-EOW ने कुंजाम को ‘संदिग्ध’ बताया है, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। सीपीआई नेता रामा सोढ़ी ने इस छापेमारी को राजनीतिक प्रतिशोध करार देते हुए कहा कि, “हमारे नेता ने घोटाले की पोल खोली, अब उन्हें ही निशाना बनाया जा रहा है।”

इनके घर पर पड़ा था छापा

पूर्व विधायक सीपीआई नेता मनीष कुंजाम, कोंटा प्रबंधक – शरीफ़ खान, पालाचलमा प्रबंधक – वेंकट रवाना, फूलबगड़ी प्रबंधक- राजेशेखर, पुराणिक जगरगुंडा प्रबंधक- रवि गुप्ता, मिशिगुडा प्रबंधक- राजेश आयतु, एर्राबोर प्रबंधक – महेंद्र सिंह

वहीं ACB-EOW के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, जांच में कई और लोगों की संलिप्तता सामने आई है और आगे की कार्रवाई जारी है। फिलहाल सभी संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है और उनके बयान दर्ज किए गए हैं। इस मामले ने आदिवासी क्षेत्रों में संचालित तेंदूपत्ता योजना की पारदर्शिता और प्रशासनिक व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

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