JNU Vice Chancellor
नई दिल्ली। दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर शांतिश्री धूलीपुडी पंडित ने कहा कि यूनिवर्सिटी में फ्रीलोडर्स यानी मुफ्तखोरों समस्या बनी हुई है। यहां कई स्टूडेंट अपने कोर्स की अवधि पूरी होने के बाद भी हॉस्टल में रहते हैं, तो वहीं कई अवैध मेहमान भी यहां रुकते हैं।
पंडित से मिली जानकारी के मुताबिक हॉस्टल एडमिनिस्ट्रेशन को सख्त हिदायत दी गई है कि किसी भी स्टूडेंट को पांच साल से ज्यादा हॉस्टल में न रहने दिया जाये। आगे पंडित ने जानकरी देते हुए बताया कि JNU में टैक्सपेयर्स के पैसों पर कई मुफ्तखोर रह रहे हैं। ऐसे में यूनिवर्सिटी में मुफ्तखोरों की संख्या बढ़ गई है।
पंडित ने कहा की वह खुद इसी यूनिवर्सिटी से पढ़ी हुई हैं। पंडित ने चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज से मास्टर्स करने के बाद 1985 से 1990 के बीच JNU से MPhil और PhD किया। उन्होंने बताया कि जब मैं स्टूडेंट हुआ करती थी, ये समस्या तब भी थी, पर इतनी नहीं थी।
JNU Vice Chancellor
तब भी कई स्टूडेंट समय पूरा होने के बाद भी यहां रुकते थे, पर तब उनकी संख्या कम हुआ करती थी। JNU में कुछ स्टूडेंट्स को सब कुछ मुफ्त और सब्सिडी पर चाहिए। JNU की कैंटीन लोकसभा की कैंटीन से सस्ती है, पर हमारे समय में टीचर्स काफी स्ट्रिक्ट हुआ करते थे।
जब मैं पीसचडी कर रही थी, तो मेरी रिसर्च को सुपरवाइज करने वाले प्रोफेसर ने कहा था कि अगर तुमने साढ़े चार साल में अपनी रिसर्च पूरी नहीं की, तो तुम्हें यहां से जाना पड़ेगा। मुझे पता था कि प्रोफेसर मेरी फेलोशिप को एक्सटेंड करने की एप्लिकेशन पर साइन नहीं करेंगे। तब से अब तक हालात काफी बदल गए हैं। कई प्रोफेसर अब इस तरह के एक्सटेंशन की इजाजत दे रहे हैं। इसलिए मुफ्तखोरों की संख्या बढ़ गई है।
आगे पंडित ने बताया कि कैंपस में अवैध गेस्ट भी हैं, जो JNU के स्टूडेंट नहीं हैं, उसके बाद भी यहां रहते हैं। वे या तो UPSC की तैयारी कर रहे हैं, या किसी और एग्जाम की। ऐसे लोगों के लिए JNU रहने की सबसे सस्ती जगह है।