CHHATTISGARH NEWS
रायपुर। यह सराहनीय है कि EPFO ने डिफाल्टर कंपनियों से बकाया राशि की वसूली के लिए विशेष टीमें बनाई हैं।यह कदम EPFO के सदस्यों के हितों में है।डिफाल्टर कंपनियां वे कंपनियां हैं जो अपने कर्मचारियों के लिए EPFO में योगदान नहीं करती हैं।यह EPFO के सदस्यों के लिए एक बड़ी समस्या है क्योंकि वे अपनी पेंशन और अन्य लाभों से वंचित रह जाते हैं।
विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार 8 मार्च तक 29.23 करोड़ की कुल एरियर्स बकाया राशि में से 17.62 करोड़ यानि 60.28 प्रतिशत की वसूली की जा चुकी है। इसके साथ ही 63 करोड़ के कुल करेंट डिमांड में से 57.5 करोड़ की राशि यानि 91.3 प्रतिशत की वसूली हो चुकी है।
EPFO द्वारा बनाई गई विशेष टीमें डिफाल्टर कंपनियों से निम्नलिखित राशि की वसूली करेंगी:
- बकाया प्रोविडेंट फंड: यह वह राशि है जो कर्मचारी और नियोक्ता द्वारा EPFO में जमा की जाती है।
- अंशदान: यह वह राशि है जो नियोक्ता द्वारा EPFO में जमा की जाती है।
- क्षतिपूर्ति: यह वह राशि है जो डिफाल्टर कंपनी को EPFO को देनी होती है क्योंकि उसने अपने कर्मचारियों के लिए EPFO में योगदान नहीं किया।
- ब्याज: यह वह राशि है जो डिफाल्टर कंपनी को बकाया राशि पर देनी होती है।
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EPFO ने डिफाल्टर कंपनियों से बकाया राशि की वसूली के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं:
विशेष टीमें बनाई गई हैं।डिफाल्टर कंपनियों को नोटिस भेजे गए हैं।डिफाल्टर कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है।EPFO से अपील है कि वह डिफाल्टर कंपनियों से बकाया राशि की वसूली के लिए कड़े कदम उठाए।
राज्य के विभिन्न जिलों में भेजी गई टीमें
बताया जा रहा है कि डिपाल्टर कंपनियों से वसूली के लिए प्रदेश के विभिन्न जिलों में अधिकारियों की टीमें भेजी गई है। यह टीमें कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम,1952 के प्रावधानों के तहत डिफाल्टर संस्थानों से बकाया राशि की वसूली में लगी हुई है।
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डिफाल्टर कंपनियों पर यह होगी कार्रवाई
रिकवरी आफिसर जयशंकर राय( रीजनल पीएफ कमिश्नर-1) ने बताया कि बकाया राशि को वसूलने के लिए डिफाल्टर संस्थानों के विरुद्ध ईपीएफओ के नियमों के तहत बैंक खाते की जब्ती, चल तथा अचल संपत्ति को जब्त करना, जब्त संपत्ति की नीलामी, डिफाल्टर की गिरफ्तारी तथा उसे जेल की भी सजा हो सकती है।
उन्होंने बताया कि इसके साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 406-409 के तहत एफआइआर दर्ज करने के साथ ही कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 की धारा 14 के तहत डिफाल्टर नियोक्ताओं पर अभियोजन संबंधी कार्रवाई भी की जा सकती है।