कुशीनगर/उत्तर प्रदेश, 30 अक्टूबर। Nitish Katara Murder Case : उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के तरुवनवा गांव में गहरी खामोशी छाई है। गांव के रहने वाले सुखदेव यादव उर्फ पहलवान की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत हो गई। 55 वर्षीय सुखदेव ने अपने जीवन के 20 साल जेल में बिताए थे। चार महीने पहले ही वह सजा पूरी कर जेल से रिहा हुआ था। अब उसकी अचानक हुई मौत से परिवार और गांववाले सदमे में हैं।
मंगलवार रात हुआ भीषण हादसा
मंगलवार देर रात करीब 10 बजे, फाजिलनगर कस्बे के बघौचघाट मोड़ के पास यह हादसा हुआ। सुखदेव अपने दो साथियों विजय गुप्ता और भागवत सिंह के साथ एक रिश्तेदार के घर से लौट रहा था। तीनों एक ही बाइक पर सवार थे, तभी सामने से आ रही तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने उनकी बाइक को जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि तीनों सड़क पर जा गिरे।
सुखदेव यादव की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दोनों साथी गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे के बाद स्कॉर्पियो डिवाइडर से जा टकराई। सूचना मिलते ही फाजिलनगर पुलिस मौके पर पहुंची, घायलों को अस्पताल भेजा और वाहन को कब्जे में ले लिया।
गांव में ‘पहलवान’ के नाम से मशहूर था सुखदेव
गांववालों के अनुसार, सुखदेव यादव को पहलवानी का बहुत शौक था। वह गांव के अखाड़े में जब भी उतरता, तो विरोधी पहलवानों को पलक झपकते ही चित कर देता था। उसके पिता विश्वनाथ यादव भी नामी पहलवान रहे हैं। गांव के बुजुर्गों के मुताबिक, वह बेहद हंसमुख और मिलनसार था, लेकिन युवावस्था में गलत संगत में पड़कर अपराध की दुनिया में चला गया।
नीतीश कटारा हत्याकांड में था दोषी
सुखदेव यादव 2002 के चर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड में सह-आरोपी रहा है। 16-17 फरवरी 2002 की रात, गाजियाबाद में नीतीश कटारा की हत्या ने पूरे देश को हिला दिया था। इस मामले में डीपी यादव के बेटे विकास यादव, रिश्ते के भाई विशाल यादव, और सुखदेव यादव को दोषी ठहराया गया था। 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने विकास और विशाल को 25 साल तथा सुखदेव को 20 साल की सजा सुनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने दी थी फटकार
सुखदेव ने जेल में रहते हुए अपनी सजा पूरी कर ली थी, लेकिन समय पर रिहाई नहीं मिली। उसकी फरलो याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 29 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि, जिस व्यक्ति ने अपनी पूरी सजा काट ली है, उसे जेल में नहीं रोका जा सकता। इसके बाद कोर्ट ने उसकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया था।
चार महीने बाद ही मौत
जून 2025 में जेल से बाहर आने के बाद सुखदेव अपने गांव लौटा था। परिवार के मुताबिक, वह एक सामान्य जीवन जीने की कोशिश कर रहा था और खेती-बारी में मन लगा रहा था। लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था, रिहाई के चार महीने बाद ही सड़क हादसे में उसकी मौत हो गई।
परिवार में मातम
सुखदेव की मौत के बाद तरुवनवा गांव में मातम पसरा है। परिजनों का कहना है, “20 साल की जेल की सजा काटने के बाद उसे जिंदगी का दूसरा मौका मिला था। लेकिन वह आज़ादी का सुख ठीक से महसूस भी नहीं कर पाया।