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Wednesday, October 15, 2025

Leader of Maoist : हाथ में बंदूक-चेहरे पर शांति और आत्मसमर्पण का ऐतिहासिक क्षण…! माओवादी भूपति ने मुस्कराते हुए डाले हथियार…यहां देखें Video

गडचिरोली/विशेष संवाददाता, 15 अक्टूबर। Leader of Maoist : वो क्षण असाधारण था जब हाथों में हथियार थामे, लेकिन चेहरे पर गहरी शांति और संतुलित...

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Mahashivratri 2024: शकंर भगवान को दामाद मानता है ये शहर, जहां रावण भी करता था भगवान शिव की अराधना

Ashta city situated in Bhopal considers Lord Bholenath as its son-in-law

Mahashivratri 2024 मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 80 किलोमीटर दूर बसा आष्टा शहर शकंर भगवान को अपना दामाद मानता है, आष्टा माता पार्वती का पीहर माना जाता है, पौराणिक कथाओं के अनुसार आष्टा से निकली पार्वती नदी किनारे स्थित पार्वती-शंकर के मंदिर में लंकापति रावण भी स्तुति करने के लिए आता था.

शकंर भगवान

कई शास्त्रों में आष्टा शहर का जिक्र भी है, आष्टा में पार्वती नदी किनारे स्थित भूतेश्वर मंदिर के पुजारी हेमंत गिरी के अनुसार,यह मंदिर पांडव कालीन है, Mahashivratri 2024  सीहोर में स्थित प्राचीन गणेश मंदिर की वास्तुकला के अनुरूप ही भूतेश्वर मंदिर का निर्माण श्रीयंत्र आकृति में किया गया है. कालांतर में इस मंदिर का निर्माण मराठा शैली के अनुरूप पूर्वमुखी किया गया. इस मंदिर से पार्वती नदी की धारा सटकर बांयी तरफ बहती है.

Shiva

मंदिर के गर्भगृह में मस्तक के आकार में त्वचा रंग का अद्भूत शिवलिंग स्थापित है, जिसके वाम भाग में कुबेर देवता विराजमान हैं. मंदिर में मां पार्वती की प्राचीन मूर्ति भी स्थापित है. Mahashivratri 2024 मध्य में भगवान गणेश की मनमोहक प्रतिस्थापित है.

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Mahashivratri 2024  मंदिर में विराजित मां पार्वती की प्रतिमा और समीप से ही निकली कलकल बहती नदी की वजह से शहरवासी आष्टा को माता का पीहर मानते हैं, माता पार्वती का उद्गम भी आष्टा से कुछ किलोमीटर दूर ही बताया जाता है, इसलिए आष्टा नगर को मां पार्वती का पीहर कहा जाता है. जबकि भगवान भोलेनाथ को अपना दामाद.

भोलेनाथ

हिन्दू प्राचीन धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, Mahashivratri 2024  इस मंदिर में लंकापति रावण आकर भगवान शिव की आराधना करता था, शहर में विभिन्न धार्मिक अवसरों पर निकलने वाली भगवान शिव बारात में आष्टावासी दामाद की भांति ही भगवान महादेव का भव्य स्वागत करते हैं, मान्यताओं के अनुसार, अष्टवक्र जैसे ऋषियों ने भी यहां तपस्या की है. ऋषि अष्टवक्र का माता पार्वती से मां और पुत्र जैसा पवित्र रिश्ता था.

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