Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : 45 साल बाद खुला लिंगेश्वरी माता की गुफा का पावन द्वार, हजारों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, क्षेत्र में भक्ति और पर्यटन का संचार

Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : 45 साल बाद खुला लिंगेश्वरी माता की गुफा का पावन द्वार, हजारों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, क्षेत्र में भक्ति और पर्यटन का संचार

 

 Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : 45 साल बाद खुला लिंगेश्वरी माता की गुफा का पावन द्वार, हजारों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, क्षेत्र में भक्ति और पर्यटन का संचार
Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : 45 साल बाद खुला लिंगेश्वरी माता की गुफा का पावन द्वार, हजारों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, क्षेत्र में भक्ति और पर्यटन का संचार

Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में भादो एकादशी के पावन अवसर पर एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक घटना घटी, जब लगभग 45 वर्षों बाद लिंगेश्वरी माता की पवित्र गुफा का द्वार श्रद्धालुओं के लिए खोला गया। एक दिन के लिए खुलने वाली इस गुफा के दर्शन हेतु हजारों श्रद्धालु दूर-दराज के इलाकों से पहुंचे और पूरी पहाड़ी भक्ति के रंग में रंग गई।

 Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : 45 साल बाद खुला लिंगेश्वरी माता की गुफा का पावन द्वार, हजारों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, क्षेत्र में भक्ति और पर्यटन का संचार
Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : 45 साल बाद खुला लिंगेश्वरी माता की गुफा का पावन द्वार, हजारों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, क्षेत्र में भक्ति और पर्यटन का संचार

Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : यह गुफा साल में केवल एक बार ही खुलती है — वह भी भादो मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को, और वह भी सिर्फ 12 घंटे के लिए। इस दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। यह गुफा कोंडागांव जिले के आलोर गांव की पहाड़ियों के बीच स्थित है और घने जंगलों तथा दुर्गम रास्तों को पार कर ही यहां पहुंचा जा सकता है। धार्मिक मान्यताओं और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम यह स्थल आज राज्य के प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थलों में से एक बनता जा रहा है।

लिंगेश्वरी माता: शिव और शक्ति का अद्वितीय स्वरूप

 Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : 45 साल बाद खुला लिंगेश्वरी माता की गुफा का पावन द्वार, हजारों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, क्षेत्र में भक्ति और पर्यटन का संचार
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Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : गुफा के भीतर प्राकृतिक रूप से शिवलिंग की आकृति विद्यमान है, जिसकी पूजा शिव और शक्ति के संयुक्त रूप – लिंगेश्वरी माता के रूप में की जाती है। श्रद्धालु इन्हें लिंगई माता या लिंगेश्वरी देवी के नाम से पुकारते हैं। मान्यता है कि यह स्थान अत्यंत शक्तिशाली है और यहां सच्चे मन से की गई प्रार्थना फलित होती है।

 Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : 45 साल बाद खुला लिंगेश्वरी माता की गुफा का पावन द्वार, हजारों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, क्षेत्र में भक्ति और पर्यटन का संचार
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 Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : गुफा के अंदर चट्टानों के बीच स्थित करीब दो फीट ऊंची शिवलिंग की विशेषता यह है कि इसकी ऊंचाई समय के साथ बढ़ रही है। वैज्ञानिक पुष्टि अभी नहीं हुई है, लेकिन स्थानीय जनमान्यताओं के अनुसार, यह चमत्कारी है। गुफा के भीतर एक बार में लगभग 30 लोग बैठ सकते हैं, जिससे इसकी पवित्रता और सीमितता दोनों का आभास होता है।

संतान प्राप्ति की मान्यता: खीरा चढ़ाने की विशेष परंपरा

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 Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : इस मंदिर को लेकर सबसे बड़ी और लोकप्रिय मान्यता संतान प्राप्ति से जुड़ी है। निःसंतान दंपत्ति यहां आकर खीरा माता को चढ़ाते हैं। पूजन के बाद पुजारी उसे वापस प्रसाद रूप में लौटाते हैं। यह खीरा दंपत्ति द्वारा नाखून से चीरा लगाकर दो टुकड़ों में बांटा जाता है और श्रद्धा से ग्रहण किया जाता है। इसके बाद माना जाता है कि माता की कृपा से उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। कपाट बंद होने के बाद गुफा के बाहर अक्सर सैकड़ों खीरे पड़े देखे जा सकते हैं, जो श्रद्धालुओं की अर्जी और विश्वास के प्रतीक होते हैं।

 Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : 45 साल बाद खुला लिंगेश्वरी माता की गुफा का पावन द्वार, हजारों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, क्षेत्र में भक्ति और पर्यटन का संचार
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Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : मंदिर के बाहर एक विशेष परंपरा के तहत रेत बिछाई जाती है, और अगले वर्ष जब गुफा दोबारा खोली जाती है, तब पुजारी उस रेत पर पड़े पदचिन्हों के आधार पर भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगाते हैं। जैसे –

  • कमल का निशान आने से धन की वृद्धि
  • हाथी के पदचिन्ह से समृद्धि
  • घोड़े के खुर से युद्ध का संकेत
  • बाघ के पंजे से संकट या आतंक
  • मुर्गी के पैरों के निशान से अकाल पड़ने की आशंका मानी जाती है
 Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : 45 साल बाद खुला लिंगेश्वरी माता की गुफा का पावन द्वार, हजारों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, क्षेत्र में भक्ति और पर्यटन का संचार
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Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : इस आयोजन को देखने के लिए न केवल छत्तीसगढ़ से, बल्कि ओडिशा, झारखंड, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश जैसे आसपास के राज्यों से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं। यह स्थान धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण होता जा रहा है और इसके माध्यम से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार की भी संभावना बढ़ी है। दुकानदार, स्थानीय गाइड, वाहन चालक आदि इस आयोजन से प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हो रहे हैं।

Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : इस साल माता के दर्शन को लेकर लोगों में अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिला। श्रद्धालुओं ने घंटों लंबी कतारों में खड़े होकर माता के दर्शन किए। प्रशासन की सजगता और ग्रामीणों की भागीदारी ने इस आयोजन को सफल और सुरक्षित बनाया।

 Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : 45 साल बाद खुला लिंगेश्वरी माता की गुफा का पावन द्वार, हजारों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, क्षेत्र में भक्ति और पर्यटन का संचार
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 Narayanpur Lingeshwari Mata Cave : लिंगेश्वरी माता की गुफा आज न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि यह आयोजन सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक बन चुका है। भक्ति, श्रद्धा और परंपरा का यह संगम हर वर्ष हजारों लोगों को एकत्र करता है और यह छत्तीसगढ़ की धार्मिक विरासत का एक अद्वितीय उदाहरण बनकर उभर रहा है।

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