पर्यटन डेस्क, 08 अगस्त। Tatamari Eco-Tourism : छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में स्थित टाटामारी ईको-टूरिज्म स्थल, प्रकृति प्रेमियों और रोमांचकारी यात्रियों के लिए एक सच्चा स्वप्नलोक है। यह स्थल केशकाल घाटी की पहाड़ियों में बसे टाटामारी हिल स्टेशन पर बसा है, और इसे जिला प्रशासन तथा वन विभाग द्वारा संवेदनशीलता के साथ ईको-टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित किया गया है।
टाटामारी: स्वर्ग की झलक
प्राकृतिक सौंदर्य
यह स्थल एक विस्तृत पठारी क्षेत्र पर स्थित है जहाँ से चारों ओर पहाड़ों और घाटियों का नज़ारा शानदार रूप में दिखता है। जंगलों की हरियाली, धुंध से छुट्टी शाम, और पर्वतों पर मंडराते बादल—यह सब सम्मोहनकारी माहौल रचते हैं।
प्रवेश द्वार एवं गार्डन
यहां एक खूबसूरती से निर्मित प्रवेश द्वार है, जिसके पीछे सुव्यवस्थित गार्डन और चहल-पहल भरे वॉकवे हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
रोमांचकारी गतिविधियाँ
ट्रेकिंग, बर्ड-वॉचिंग, पौन्छक (archery), साइक्लिंग, रॉक क्लाइंबिंग, पैरासेलिंग, रात्रि-शिविर, और स्टारगेजिंग जैसी गतिविधियां उपलब्ध हैं। इनमें से कुछ जैसे पैराग्लाइडिंग की योजना भी प्रस्तावित है।
धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू
टाटामारी में उच्च स्थान पर स्थित भंगाराम (महालक्ष्मी) मंदिर और शक्ति पीठ धार्मिक महत्व के केंद्र हैं। पर्व के अवसरों पर श्रद्धालुओं का यहां आगमन होता है।
पर्यटन सुविधाएँ और ग्रामीण समर्थन
वन विभाग ने यहां रेस्ट हाउस, कॉटेज, रेस्टोरेंट और कैफेटेरिया जैसे आधारभूत ढांचे विकसित किए हैं। स्थानीय युवाओं और महिला स्वयं सहायता समूहों को पर्यटन मार्गदर्शन, खानपान, और हस्तशिल्प के माध्यम से रोजगार का अवसर दिया गया है।
टाटामारी केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि प्रकृति, संस्कृति और समुदाय का संगम है। यह स्थल न सिर्फ दर्शनीय है, बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार देने और आदिवासी संस्कृति को समृद्ध करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है। यहां की प्राकृतिक छटा, शांत वातावरण, और रोमांचकारी गतिविधियाँ शहर की भागदौड़ से दूर एक यादगार अनुभव प्रदान करती हैं।
पर्यटन से जुड़े आकर्षण
विशेषता | विवरण |
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स्थान | केशकाल घाटी, टाटामारी, कोंडागांव जिला, छत्तीसगढ़ |
प्राकृतिक दृश्य | लंबी घाटियां, घने जंगल, बादल, पहाड़ी-श्रृंखला, हरियाली |
खेल और गतिविधियाँ | ट्रेकिंग, पैरासेलिंग, रॉक क्लाइंबिंग, बर्ड-वॉचिंग, स्टारगैज़िंग |
संरचनात्मक विकास | गार्डन, प्रवेश द्वार, रेस्ट हाउस, कॉटेज, कैफेटेरिया, सूचना केंद्र |
सांस्कृतिक तत्व | परंपरागत मंदिर, आदिवासी कला, ग्रामीण हस्तशिल्प और खुदरा व्यापार |