
Sawan 2025: सावन का पावन महीना शुरू होते ही पूरा देश शिवभक्ति में डूब गया है। चारों ओर हरियाली, रिमझिम बारिश और “बोल बम” की गूंज ने वातावरण को पवित्रता और ऊर्जा से भर दिया है। मंदिरों में घंटियों की गूंज है, और गंगा जल से शिवलिंग का अभिषेक कर श्रद्धालु अपने जीवन में सुख, शांति और सौभाग्य की कामना कर रहे हैं।
बड़ी खबर : विमान में लगी भीषण आग, कॉलेज की इमारत पर गिरा,भीषण आग से मचा हड़कंप
Sawan 2025:सावन का महीना हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण मास कहलाता है, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव की आराधना करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। विशेषकर सोमवार का दिन “सावन सोमवार” के नाम से प्रसिद्ध है, जब देशभर के मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं।
)
इस बार सावन की शुरुआत मानसून की अच्छी बारिश के साथ हुई है। खेतों में हरियाली लहलहा रही है और गांवों से लेकर शहरों तक वातावरण में एक अलग ही उमंग देखने को मिल रही है। कांवड़ यात्रा भी जोरों पर है। उत्तर भारत में हरिद्वार, गंगोत्री और अन्य तीर्थस्थलों से कांवड़ लेकर लाखों शिवभक्त नंगे पांव अपने-अपने गांव व शहर की ओर बढ़ रहे हैं।
सावन का महीना खास क्यों होता है?
Sawan 2025: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सावन महीने का नाम भगवान शिव के नाम पर रखा गया है. शिव जी को सोमनाथ और जलदेव भी कहा जाता है, जो कि वर्षा के देवता हैं. इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, इसलिए इस महीना का नाम सावन पड़ा. शिव पुराण में वर्णन है कि सावन के महीने में जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ शिवजी की पूजा करता है और उनके निमित्त व्रत रखता है, उसकी सभी मनोकामना पूरी हो जाती हैं.

Sawan 2025: प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान “हलाहल” नामक विष निकला था. समस्त सृष्टि की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने विष ग्रहण कर लिया था, जिसके कारण उनका गला नीला पड़ गया, इसलिए भगवान शिव को “नीलकंठ” भी कहा जाता है. सावन महीने में भगवान शिव के गले में विष का प्रभाव कम करने के लिए देवतों ने उनपर जल अर्पित किया जाता है, जिससे हलाहल विष शांत हो जाए. ऐसा कहा जाता है कि इसके बाद से ही सावन में शिवजी को जल चढ़ाने की परंपरा की शुरुआत हुई थी.

Saiyaara Box Office Records: ‘सैयारा’ का बॉक्स ऑफिस पर धमाका, 4 दिन में 106 करोड़ की कमाई, रचा इतिहास

भगवान शिव को श्रावण मास क्यों प्रिय है?
Sawan 2025: पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावन के महीने में जगत जननी माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए सोमवार के व्रत रखे थे और उन्होंने इसी महीने में घोर तपस्या भी की थी. इस तपस्या के कारण ही भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप से स्वीकार किया था. यही कारण है कि भगवान शिव को यह महीना बेहद प्रिय है. ऐसी मान्यता है कि सावन में ही भगवान शिव धरती पर आए थे और अपने सुसराल गए थे.
https://www.instagram.com/reel/DMZ1jH9Md1Z/?igsh=MTR1cDFudXYyb3kwaA==