ED Action in Chhattisgarh
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 2161 करोड़ के शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा, उनके बेटे हरीश लखमा और सुकमा स्थित कांग्रेस कार्यालय की संपत्ति को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जब्त कर लिया है। यह ईडी की अब तक की राज्य में सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।
क्या-क्या अटैच किया गया?
- कवासी लखमा व बेटे की रायपुर-सुकमा स्थित संपत्ति: ₹5.50 करोड़
- सुकमा कांग्रेस कार्यालय भवन: ₹65 लाख
- कुल अटैच संपत्ति: ₹6.15 करोड़
ED Action in Chhattisgarh
क्यों अटैच किया कांग्रेस दफ्तर?
मिली जानकारी के मुताबिक ईडी की जांच में सामने आया कि सुकमा कांग्रेस कार्यालय भवन लखमा परिवार की निजी संपत्ति है। आरोप है कि इसकी खरीद में शराब घोटाले से अर्जित अवैध रकम का इस्तेमाल हुआ। इसलिए इसे अपराध से अर्जित संपत्ति (Proceeds of Crime) मानते हुए जब्त किया गया। बता दें कि यह देश में पहली बार है जब ईडी ने किसी राजनीतिक दल के कार्यालय भवन को अटैच किया है।
कहां से शुरू हुई कार्रवाई?
- 2019 से 2022 के बीच शराब घोटाले में 2161 करोड़ रुपये का लेन-देन
- कवासी लखमा उस वक्त आबकारी मंत्री थे
- आरोप: लखमा को इस दौरान 72 करोड़ रुपये रिश्वत में मिले
- जनवरी 2025 में कवासी लखमा की गिरफ्तारी, अब तक जेल में हैं
- ईडी अब तक इस केस में 21 आरोपियों को चिन्हित कर चुकी है
कांग्रेस का विरोध तेज, कहा – ‘ये राजनीतिक बदला’
ईडी की कार्रवाई के बाद कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी। वहीं पार्टी के मीडिया प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा “यह मोदी सरकार की ईडी के जरिए की गई बदले की कार्रवाई है। कांग्रेस अपने कार्यालयों की एक-एक पाई का हिसाब दे सकती है। क्या ईडी में हिम्मत है कि बीजेपी के 150 करोड़ के आलीशान दफ्तर की भी जांच करे?” जिसके बाद कांग्रेस ने शुक्रवार शाम सुकमा में पुतला दहन और राज्यभर में विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है।
ED Action in Chhattisgarh
ईडी की जांच अब कहां तक पहुंची?
- गिरफ्तार: कवासी लखमा और बेटा हरीश
- आरोपी: अनवर ढेबर, अनिल टूटेजा, त्रिलोक ढिल्लन समेत कारोबारी नेटवर्क
- कंपनियां जैसे – वेलकम डिस्टलर, छत्तीसगढ़ डिस्टलर, ओम साईं ब्रेवरीज आदि जांच के दायरे में
- मामले की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है
बता दें कि ईडी की इस कार्रवाई से न केवल छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल आया है, बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर भी एक मिसाल बन गई है — जहां पहली बार किसी राजनीतिक पार्टी के कार्यालय को सीधे मनी लॉन्ड्रिंग केस में जब्त किया गया है। आने वाले दिनों में इस मामले में और बड़े चेहरे फंस सकते हैं।