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Tuesday, October 21, 2025

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Parashurama Janmotsav 2025 : 29 अप्रैल को होगा भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जन्मोत्सव पर्व, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और चमत्कारी मंत्र

Parashurama Janmotsav 2025

रायपुर। भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्मोत्सव इस वर्ष 29 अप्रैल 2025 को धूमधाम से मनाया जाएगा। यह पर्व हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भृगुवंशीय महर्षि जमदग्नि और रेणुका माता के पुत्र परशुराम का जन्म, उनके पिता द्वारा संपन्न पुत्रेष्टि यज्ञ के फलस्वरूप हुआ था। देवराज इन्द्र ने प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था, जिसके प्रभाव से वैशाख शुक्ल तृतीया की संध्या में परशुराम जी का जन्म हुआ था।

तिथि और मुहूर्त
  • 29 अप्रैल 2025 को द्वितीया तिथि शाम 5:32 बजे तक रहेगी।
  • उसके बाद तृतीया तिथि प्रारंभ होगी, जो 30 अप्रैल दोपहर 2:13 बजे तक रहेगी।
  • परंपरा के अनुसार, प्रदोष व्यापिनी तृतीया में पूजा करना श्रेष्ठ माना गया है, इसलिए परशुराम जन्मोत्सव 29 अप्रैल 2025 को ही मनाया जाएगा।
  • पूजा का सबसे शुभ समय सूर्यास्त के तुरंत बाद प्रदोष काल रहेगा।

Parashurama Janmotsav 2025

भगवान परशुराम का महत्व

भगवान परशुराम को श्रीहरि विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। वे सप्त चिरंजीवियों (अजर-अमर) में से एक हैं। अपने हाथ में शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु (फरसा) धारण करने के कारण उन्हें ‘परशुराम’ कहा जाता है। वे धर्म, शौर्य और विद्या के प्रतीक माने जाते हैं।

भारत के दक्षिणी हिस्सों में विशेष रूप से परशुराम जन्मोत्सव की भव्यता देखने को मिलती है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं, कथा का आयोजन करते हैं और भगवान परशुराम के मंत्रों का जाप कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

परशुराम जी को प्रसन्न करने के सिद्ध मंत्र
  • ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि, तन्नो परशुरामः प्रचोदयात्।
  • ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात्।
  • ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नमः।

Parashurama Janmotsav 2025

कैसे करें मंत्र जाप
  • इनमें से किसी भी एक मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना अत्यंत फलदायक माना गया है।
  • यदि किसी कारणवश आप विधिवत पूजा न कर सकें तो सूर्यास्त के बाद भी इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
  • मंत्र जाप से भगवान परशुराम का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो बल, विद्या, साहस और समृद्धि प्रदान करते हैं।
विशेष तथ्य
  • भगवान परशुराम का जन्म त्रेतायुग में हुआ था, लेकिन वे चिरंजीवी हैं और आज भी जीवित हैं।
  • कलयुग में उनकी पूजा अत्यंत कल्याणकारी मानी गई है।

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