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Tuesday, June 17, 2025

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Waqf Amendment Act SC Hearing Updates : वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में घमासान, धार्मिक अधिकारों पर हमला या सुधार की कोशिश?

Waqf Amendment Act SC Hearing Updates

नई दिल्ली। वक्फ संशोधन कानून को लेकर देशभर में विरोध-प्रदर्शन और बहस तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट में आज यानि कि 17 अप्रैल को इस मामले पर फिर सुनवाई हो रही है। इस कानून के खिलाफ अब तक 70 से अधिक याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं, जिनमें संविधान के अनुच्छेद 26 और धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की दलील दी गई है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच में CJI संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल हैं, जो इस मामले की दूसरे दिन सुनवाई कर रहे हैं।

क्या है मामला?

संशोधित वक्फ कानून के तहत वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों को सदस्य बनाए जाने का प्रावधान जोड़ा गया है। विरोध कर रहे पक्षों का कहना है कि इससे वक्फ बोर्ड का धार्मिक चरित्र खत्म हो जाएगा और यह संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।

Waqf Amendment Act SC Hearing Updates

वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट का तीखा सवाल

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर देशभर में घमासान मचा हुआ है। संसद में पास हो चुके इस कानून को अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा रही है और 70 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है, और बुधवार को हुई सुनवाई में अदालत ने केंद्र सरकार से एक ऐसा सवाल पूछ लिया, जिसने बहस की दिशा ही बदल दी।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सरकार से पूछा — “क्या आप मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में शामिल करने की अनुमति देंगे?” यह सवाल उस समय उठा जब अदालत ने नए कानून में वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के प्रावधान पर सवाल उठाए। बेंच ने साफ कहा कि अगर ऐसा किया गया है, तो क्या सरकार धार्मिक संस्थाओं की पहचान और स्वायत्तता से खिलवाड़ नहीं कर रही?

यह मामला केवल एक कानून की वैधता तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अब यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 26 और धार्मिक अधिकारों की आत्मा से जुड़ गया है। अनुच्छेद 26 हर धर्म को अपने संस्थान स्थापित करने, चलाने और उसे संचालित करने का अधिकार देता है। कोर्ट ने पूछा कि अगर मुस्लिम वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम शामिल हो सकते हैं, तो क्या इसी सिद्धांत पर मुसलमानों को भी हिंदू ट्रस्टों में शामिल किया जाएगा?

Waqf Amendment Act SC Hearing Updates

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने “वक्फ बाय यूजर” की परंपरा पर भी सवाल उठाए। वक्फ बाय यूजर का अर्थ है – कोई संपत्ति यदि वर्षों से धार्मिक या समाजसेवी कार्यों में उपयोग हो रही है, तो वह वक्फ मानी जाएगी, चाहे उसके पास औपचारिक दस्तावेज हों या नहीं। कोर्ट ने पूछा कि ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर किया जाएगा और क्या इसका दुरुपयोग नहीं होगा?

सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में दलील दी कि कई मुस्लिम अब वक्फ अधिनियम के अंतर्गत नहीं आना चाहते। इस पर कोर्ट ने तुरंत प्रतिप्रश्न करते हुए कहा — “अगर आप यह कह रहे हैं, तो क्या सरकार अब मुसलमानों को हिंदू धार्मिक बोर्डों में भी शामिल करेगी?” अदालत ने यह भी कहा कि किसी संपत्ति को एक सदी पहले वक्फ घोषित करने के बाद उसे नए नियमों के तहत दोबारा वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।

वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, हुजेफा अहमदी और कई अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने इस कानून को मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन बताया। सिब्बल ने सवाल उठाया कि सरकार कैसे तय करेगी कि कौन मुसलमान है और कौन नहीं? क्या सिर्फ इस आधार पर कोई वक्फ बना सकता है कि वह पिछले पांच सालों से इस्लाम का पालन कर रहा है?

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह यह तय करेगा कि इस मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय में ही हो या इसे हाई कोर्ट को भेजा जाए। साथ ही, कोर्ट ने दोनों पक्षों से कहा है कि वे स्पष्ट करें कि उनके मुख्य कानूनी तर्क क्या हैं, जिससे न्यायिक प्रक्रिया को गति मिल सके।

यह पूरा मामला वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के उस प्रावधान पर केंद्रित है, जिसमें वक्फ परिषद में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने की अनुमति दी गई है। इससे पहले केवल मुसलमान ही परिषद का हिस्सा होते थे। कोर्ट की चिंता यह है कि क्या इससे वक्फ संस्था का धार्मिक चरित्र प्रभावित होगा?

Waqf Amendment Act SC Hearing Updates

अब अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर कोई अंतरिम आदेश दे सकता है। फिलहाल, अदालत ने संकेत दे दिया है कि यह सिर्फ कानूनी सवाल नहीं, बल्कि एक संवैधानिक और सामाजिक संतुलन से जुड़ा गंभीर विषय है।

वक्फ कानून को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी
  • 5 अप्रैल, 2025 को राष्ट्रपति ने इस विवादास्पद संशोधन को मंजूरी दे दी।
  • लोकसभा में: 288 पक्ष में, 232 विपक्ष में
  • राज्यसभा में: 128 समर्थन में, 95 विरोध में

72 याचिकाएं इस कानून के खिलाफ दाखिल की गई हैं, जिनमें AIMPLB, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, AIMIM, DMK और कांग्रेस के कई सांसद शामिल हैं।

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