KARREGATTA IED BOMB
बीजापुर/तेलंगाना। छत्तीसगढ़ के बीजापुर और तेलंगाना की सीमा पर फैली कररेगुट्टा की पहाड़ियां… दिखने में जितनी शांत, भीतर से उतनी ही खतरनाक। इन पहाड़ियों के नीचे अब मौत बिछी है, और यह कोई अलंकार नहीं, बल्कि सच्चाई है। नक्सलियों ने यहां सैकड़ों IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बिछा दिए हैं, ताकि सुरक्षा बलों की घुसपैठ को रोका जा सके। लेकिन अब मामला ऐसा मोड़ ले चुका है कि खुद नक्सली भी चिंतित हो उठे हैं। उनकी बिछाई हुई मौत की जाल में अब मासूम ग्रामीण फंसने लगे हैं।
KARREGATTA IED BOMB
नक्सली नेता की अपील — “गांव वाले उधर न जाएं”
नक्सलियों के वेंकटापुरम वाज़ेड एरिया कमेटी की सचिव शांता ने एक तेलगू प्रेस नोट जारी किया है। इस प्रेस नोट में उन्होंने गांव के लोगों से अपील की है कि वे पहाड़ियों की ओर न जाएं, ना शिकार के लिए, ना लकड़ी बटोरने के लिए, और ना ही किसी दूसरे काम से।
शांता का कहना है कि पुलिस और सुरक्षा बल गांव वालों को शिकार के नाम पर भेजकर नक्सलियों की जासूसी करवा रहे हैं। लेकिन इसी चक्कर में कई निर्दोष ग्रामीण IED ब्लास्ट का शिकार हो चुके हैं।
आम आदमी की मुश्किल: बीच में फंसी ज़िंदगी
यह कहानी सिर्फ नक्सलियों और पुलिस की नहीं है। यह उन ग्रामीणों की है, जिनकी ज़िंदगी इस संघर्ष में पिस रही है। जंगल उनकी ज़रूरत है। लकड़ी, शिकार, जड़ी-बूटी, मवेशियों के लिए चारा… लेकिन अब वही जंगल जानलेवा हो चुका है। जहाँ एक तरफ पुलिस उन्हें शक की निगाह से देखती है, वहीं दूसरी तरफ नक्सली भी उन्हें जासूस मानकर अपने ही बिछाए बमों से उड़ा देने का खतरा पैदा कर रहे हैं।
प्रशासन की ओर से एहतियात
स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा है। सावधानी से गश्त की जा रही है और सर्च ऑपरेशन जारी है, ताकि समय रहते बमों को निष्क्रिय किया जा सके। लेकिन यह एक लंबी लड़ाई है।