Ram Rahim parole
चंडीगढ़/सिरसा। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक बार फिर सुर्खियों में है। 2017 से रोहतक की सुनारिया जेल में बंद राम रहीम को हरियाणा सरकार ने 21 दिन की फरलो दी है। यह 13वीं बार है जब वह जेल से बाहर आया है। बुधवार सुबह भारी पुलिस सुरक्षा के बीच राम रहीम को सिरसा डेरा लाया गया, जहां 29 अप्रैल को डेरा सच्चा सौदा का स्थापना दिवस मनाया जाना है।
इस बार खास बात यह है कि राम रहीम ने कोई वीडियो संदेश जारी नहीं किया, जैसा कि वह पहले करता आया है। उसे लेने के लिए उसकी करीबी अनुयायी हनीप्रीत इंसा रोहतक जेल पहुंची थी। फरलो मिलने के बाद राम रहीम अब सिरसा डेरा में ही रहेगा और यहीं से वह अपने अनुयायियों से संपर्क करेगा।
सिरसा में तैयारियां तेज, पुलिस चौकस
डेरा सच्चा सौदा के मुख्यालय सिरसा में राम रहीम के आगमन से पहले ही तैयारियां शुरू हो गई थीं। सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं और डेरा परिसर के आसपास पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है। 29 अप्रैल को डेरा का स्थापना दिवस है, और हर बार की तरह इस बार भी लाखों अनुयायियों के जुटने की संभावना है।
Ram Rahim parole
राजनीतिक सवाल भी खड़े
राम रहीम को बार-बार फरलो और पैरोल दिए जाने पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। उसे इससे पहले भी चुनावों से पहले या डेरा आयोजनों से पहले राहत मिलती रही है। जनवरी 2025 में भी उसे 30 दिन की पैरोल मिली थी, जब वह सिरसा डेरा पहुंचा था।
विशेषज्ञों और विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार का यह रवैया वोट बैंक राजनीति से प्रेरित है। हरियाणा के डेरा सच्चा सौदा अनुयायियों की संख्या लाखों में है, और यह एक प्रभावशाली वोट बैंक माना जाता है।
अब तक कितनी बार जेल से बाहर आया राम रहीम?
राम रहीम को अब तक 13 बार पैरोल या फरलो पर रिहा किया गया है:
- 2020 से अब तक कुल 13 बार पैरोल या फरलो
- 2022 में पहली बार 21 दिन की फरलो पर बाहर आया
- 2023 में दो बार 40-40 दिन की पैरोल मिली
- 2024 में सबसे लंबी 50 दिन की फरलो मिली
- 2025 में अब तक दो बार बाहर आ चुका है
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क्यों सजा काट रहा है राम रहीम?
गौरतलब है कि गुरमीत राम रहीम को दुष्कर्म और पत्रकार की हत्या के मामलों में दोषी ठहराया गया है। उसे 20 साल की सजा सुनाई गई थी, जो बाद में उम्रकैद में तब्दील हुई। बावजूद इसके, उसे बार-बार रिहाई दिए जाने पर न्याय व्यवस्था और प्रशासन पर सवाल उठते रहे हैं।
अब जब राम रहीम फिर से डेरा पहुंच चुका है, तो सभी की निगाहें 29 अप्रैल के स्थापना दिवस पर टिकी हैं। क्या वह सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होगा? क्या कोई नया वीडियो संदेश आएगा? क्या यह फिर एक राजनीतिक संकेत है? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में सामने आएंगे, लेकिन इतना तय है कि राम रहीम की हर रिहाई अपने साथ राजनीति, धर्म और प्रशासन के बीच नए विवाद जरूर लेकर आती है।