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Wednesday, October 15, 2025

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DEAD BODY OF GIRL FOUND IN A CAR : मासूम की चीखें जो अब कभी नहीं सुनाई देंगी, लेकिन सरकार ने दिलाया भरोसा, मिलेगा न्याय

DEAD BODY OF GIRL FOUND IN A CAR

दुर्ग, छत्तीसगढ़। रामनवमी जैसे पवित्र दिन, जब पूरा देश कन्याओं की पूजा कर रहा था, दुर्ग की एक 6 साल की बच्ची कन्या भोज में शामिल होने घर से निकली… लेकिन कभी लौटकर नहीं आई। शाम होते-होते जब परिवार की चिंता बढ़ने लगी, तो मासूम की तलाश शुरू हुई। पूरे मोहल्ले ने गली-गली बच्ची को ढूंढा, लेकिन जो सच सामने आया, उसने सभी की रूह को हिला दिया।

 

एक बंद कार में मिली उसकी निर्जीव देह। वही कार जो घर के बाहर खड़ी थी, वही कार जो कभी एक साधारण वाहन थी, अब एक मासूम की चीखों की गवाह बन चुकी थी। शॉर्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जो सामने आया, उसने आक्रोश की लहर दौड़ा दी। बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ था।

लेकिन सरकार खामोश नहीं रही

छत्तीसगढ़ सरकार ने इस मामले को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। एएसपी सुखनंदन राठौर और सीएसपी चिराग जैन मौके पर पहुंचे। तत्काल जांच दल गठित हुआ। 3 संदिग्ध हिरासत में लिए गए हैं, और पुलिस हर पहलू को बारीकी से जांच रही है। जैसे ही घटना सामने आई, दुर्ग महापौर अलका बाघमार पीड़ित परिवार के घर पहुंचीं और परिजनों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।

DEAD BODY OF GIRL FOUND IN A CAR

“इंसाफ सिर्फ वादा नहीं, संकल्प है” – मुख्यमंत्री का संदेश

घटना की जानकारी मिलते ही राज्य सरकार की ओर से कड़ा संदेश गया – “इस घटना में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसे कानून के कठोरतम प्रावधानों के तहत सज़ा दिलाई जाएगी। मासूमों के खिलाफ अपराध किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगा।”

भीड़ का गुस्सा और पुलिस की संवेदनशीलता

जब परिजनों और स्थानीय जनता का आक्रोश फूटा, तो थाने के बाहर प्रदर्शन हुआ, पथराव भी। लेकिन पुलिस ने स्थिति को संभालते हुए संवाद और संयम का रास्ता अपनाया। दोषियों को कोर्ट ले जाने में पुलिस ने अतिरिक्त बल की मदद से स्थिति नियंत्रण में रखी, ताकि न्याय प्रक्रिया बाधित न हो।

DEAD BODY OF GIRL FOUND IN A CAR

अब ज़रूरत किस चीज़ की है?
  • फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई – इस केस की सुनवाई तेजी से होनी चाहिए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
  • पुलिस प्रशासन की जवाबदेही तय हो – यदि पुलिस ने लापरवाही की है तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए।
  • मासूमों की सुरक्षा के लिए ठोस योजना बने – स्कूल, धार्मिक आयोजनों और मोहल्लों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
  • समाज में संवेदनशीलता बढ़ाई जाए – लोगों को जागरूक किया जाए कि बच्चों के प्रति किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि को नजरअंदाज न करें।
यह एक बच्ची की कहानी नहीं, यह हमारी संवेदना की परीक्षा है

यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम अपने समाज को कितना सुरक्षित बना पाए हैं। लेकिन साथ ही यह भी भरोसा देती है कि जब भी कोई मासूम न्याय की पुकार करता है, सरकार और कानून दोनों उसकी आवाज़ बनते हैं।

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