Sunita Williams
फ्लोरिडा। भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर का करीब 10 महीनों लंबा अंतरिक्ष मिशन अब अपने आखिरी पड़ाव पर है। दोनों एस्ट्रोनॉट 18 मार्च को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से रवाना हो गए हैं और 19 मार्च की सुबह 3:27 बजे फ्लोरिडा तट पर उनकी वापसी की उम्मीद है। उनके साथ क्रू-9 मिशन के दो अन्य एस्ट्रोनॉट निक हेग और अलेक्सांद्र गोरबुनोव भी धरती पर लौट रहे हैं।
8 दिन का मिशन 9 महीने तक क्यों खिंच गया?
सुनीता और बुच को NASA और Boeing के जॉइंट मिशन ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट’ के तहत केवल 8 दिन के लिए भेजा गया था। उद्देश्य था— बोइंग के नए स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट की टेस्टिंग। लेकिन, स्टारलाइनर के थ्रस्टर फेलियर और हीलियम लीक जैसी तकनीकी खामियों ने वापसी रोक दी। NASA ने इसे असुरक्षित मानते हुए खाली स्टारलाइनर को वापस बुला लिया और एस्ट्रोनॉट्स की वापसी का जिम्मा SpaceX को सौंप दिया।
Sunita Williams
SpaceX ने निभाई जिम्मेदारी, सुनीता को अब ‘फ्रीडम’ दिलाएगा ड्रैगन
अब सुनीता और बुच SpaceX के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में सवार होकर लौट रहे हैं। इस मिशन के लिए 28 सितंबर 2024 को लॉन्च हुए क्रू-9 मिशन में दो सीटें उनके लिए खाली छोड़ी गई थीं। अब 15 मार्च 2025 को आए क्रू-10 मिशन ने ISS की जिम्मेदारी संभाली और चारों क्रू-9 सदस्य लौट रहे हैं।
वापसी में 17 घंटे की सांस रोक देने वाली यात्रा
NASA के शेड्यूल के अनुसार, 19 मार्च को 2:41 बजे स्पेसक्राफ्ट का डी-ऑर्बिट बर्न शुरू होगा और लगभग 3:27 बजे फ्लोरिडा तट पर स्प्लैशडाउन होगा। करीब 17 घंटे की यह यात्रा सुनीता के लिए रोमांचक और जोखिम भरी होगी। वापसी के दौरान हीट शील्ड, पैराशूट सिस्टम और समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग सबसे बड़ी चुनौतियां होंगी।
Sunita Williams
मिशन में राजनीति की परछाई?
SpaceX के CEO एलन मस्क ने दावा किया कि उन्होंने सुनीता और बुच को जल्दी लाने की पेशकश की थी, लेकिन बाइडेन प्रशासन ने राजनीतिक कारणों से इसे मंजूरी नहीं दी। हालांकि NASA ने इसे खारिज करते हुए कहा कि देरी केवल तकनीकी और सुरक्षा कारणों से हुई।
इतिहास रचने के करीब सुनीता
यह सुनीता विलियम्स का तीसरा मिशन है। इस मिशन के बाद वह अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा समय बिताने वाली महिला एस्ट्रोनॉट्स की सूची में और ऊपर पहुंच जाएंगी। साथ ही यह मिशन भविष्य में Boeing के स्पेसक्राफ्ट को लेकर इंसानों की उड़ान के लिए अहम आधार बनेगा।